कवि एवं अधिवक्ता मरुधर मृदुल की स्मृति में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

 
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जयपुर। संगोष्ठी के दूसरे दिन तृतीय सत्र संवैधानिक संस्थाए और लोकतंत्र विषय से संबंधित रहा। राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी के निदेशक डाॅ बी.एल.सैनी ने आये हुये सभी अतिथि एवं आगन्तुकों का स्वागत किया। सत्र की अध्यक्षता कर रहे महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट आॅफ गवर्नेस एंड सोशल साइंस के निदेशक एवं आरपीएससी के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर बी.एम.शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज संवैधानिक संस्थाओं को जिस प्रकार कमजोर किया जा रहा है वह चिंता का विषय है और उन्हे सशक्त बनाने के प्रयासों में हमे अपनी जिम्मेदारी को निभाना होगा। 

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उन्होने गांधी जी के जीवन मूल्यों और उनके बताये सिद्धान्तों को अपनाते हुए लोकतंत्र को मजबूत करने की जरूरत है, पिछले 70 सालों में इस दिषा में हमारे महान नेताओं ने अनके ठोस प्रयास किये और संवैधानिक संस्थाओं को खडा किया, इसकी महत्ता को बनाये रखने की जरूरत है, उन्होने समाज के अंतिम पंक्ति में बैठे लोगों तक जनकल्याण की योजनाओं एवं विकास का लाभ पहुचाने के लिए जिला सरकार की अवधारणा अपनाने पर भी जोर दिया। 

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सत्र के मुख्य वक्ता राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता भरत व्यास ने मरूधर मृदुल की स्मृतियों, संस्मरणों को साझा करते हुए उनके द्वारा किये गये समाज हित के उन कार्यो का जिक्र किया जिनमें समाज के मूल प्रश्न, कर्तव्य निर्वहन, वन्य जीव संरक्षण एवं न्यायिक क्षेत्र से जुडे हुए सवालों व सामाजिक सरोकारों के प्रति जागरूकता पैदा हो और लोग अपना कर्तव्य निभाने के लिए आगे आये। 

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चतुर्थ सत्र संवैधानिक संस्थाएं और लोकतंत्र पर आयोजित इस गोष्ठी का संचालन करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार फारूक आफरीदी ने विषय का परावर्तन करते हुए कहा कि समाज के प्रबुद्ध जनों ने लोकतंत्र और संविधान के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मरूधर मृदुल ने इस दिशा में जीवन पर्यन्त काम किया। इस परंपरा को आगे बढाने की आवश्यकता है, संविधान में प्रदत्त अधिकारों और कर्तव्यों के परिप्रेक्ष्य में हम सब का दायित्व है कि अपनी भूमिका को पूरे मनोयोग से निभाये और लोकहित में कार्य करें जहा कही खामी दिखाई दे वहां हम हिम्मत के साथ बिना किसी भय के उठ खडे हो।

राजीव गांधी स्टडी सर्कल के राष्ट्रीय संयोजक वाराणसी से पधारे प्रोफेसर सतीष राॅय ने कहा कि नागरिक समाज के प्रतिनिधित्व को दबाने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि बाजार ऐसा चाहता है। बाजार मुनाफाखोर तो हो सकता है, लेकिन समाज का हितैषी नही हो सकता। कोरेाना महामारी के बीच संसद में किसान विधेयकोें को ध्वनिमत से पारित तो कर दिया लेकिन समाज ने इस कानूनों को लौटा दिया, समाज मरा नही है, लेकिन उसकी आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। 

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राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजीव जैन ने कहा कि संवैधानिक संस्थाऐं समाज के साथ मिलकर अच्छा काम कर रही है, पंचवर्षीय योजनाओं ने संस्थाओं को बेहतर बनाने का काम किया, जिसके आधार पर फिर से स्वदेषी और लघु उद्योग पनप रहे है और समाज विकास की और बढ रहा है।

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राजस्थान के लोकायुक्त न्यायाधिपति प्रताप कृष्ण लोहरा ने कहा कि स्व. मरूधर मृदुल में एक आदर्श पुरूष के सभी गुण मौजूद थे। वह एक विधिवेत्ता, साहित्यकार, दार्शनिक और समाज सुधारक थे। संविधान के मूल्यों की पालना और समीक्षा करना आवश्यक है, इससे एक आदर्श समाज की स्थापना हो सकेगी। जनभावना और जज्बे से संवैधानिक संस्थाओं को कल्याणकारी बनाया जा सकता है।

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हरिदेव जोशी  पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय की कुलपति और स्व. मरूधर मृदुल की पुत्री प्रोफेसर डाॅ सुधि राजीव ने कहा कि दो दिन की राष्ट्रीय संगोष्ठी में स्व. मृदुल के योगदान के विविध आयामों पर रोशनी डाली उन्होने स्व. मृदुल के साम्प्रदायिकता और पंथवाद के विरूद्ध संघर्ष में सहभागिता का संकल्प लेने पर आभार जताया। 

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