Karnataka High Court: अवैध संबंध साबित करना चाहता था पति, HC ने कहा- ये प्राइवेसी का उल्लंघन, जानिए पूरा मामला...

याचिकाकर्ता का कहना था कि फैमिली कोर्ट में एक दंपती की शादी के विवाद में पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी से उसका अवैध संबंध है।
 
Karnataka High Court: अवैध संबंध साबित करना चाहता था पति, HC ने कहा- ये प्राइवेसी का उल्लंघन, जानिए पूरा मामला...

नई दिल्ली। कर्नाटक हाईकोर्ट ने किसी के कॉल डिटेल उसकी इच्छा के बगैर लेने को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यह व्यक्ति की प्राइवेसी का उल्लंघन है। हाईकोर्ट ने यह फैसला एक व्यक्ति की याचिका पर सुनाया। याचिकाकर्ता के कॉल डिटेल की रिपोर्ट निकालने का आदेश फैमली कोर्ट ने दिया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि फैमिली कोर्ट में एक दंपती की शादी के विवाद में पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी से उसका अवैध संबंध है। इसे साबित करने के लिए उसने उसकी कॉल डिटेल चेक करने को कहा था। पति की याचिका पर फैमिली कोर्ट ने मोबाइल कंपनी को कॉल डिटेल देने के साथ-साथ उसकी मोबाइल लोकेशन देने का आदेश दिया था। इसी आदेश के खिलाफ उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

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दरअसल, 23 फरवरी, 2019 को फैमिली कोर्ट बेंगलुरु ने मोबाइल कंपनी को आदेश दिया था कि याचिकाकर्ता (जिसके पक्ष में हाईकोर्ट ने अब ऑर्डर दिया है) के मोबाइल टावर का रिकॉर्ड कोर्ट को दे। दरअसल, इस फैमिली कोर्ट में 2018 में 37 साल की एक महिला ने अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस किया था। इस केस में महिला के पति ने याचिकाकर्ता से पत्नी के अवैध संबंध होने की बात कही थी। उसने कोर्ट से कहा था कि उसके मोबाइल की डिटेल निकाली जाए, जिससे उसकी लोकेशन ट्रेस होगी और वह साबित कर पाएगा कि वह उसकी गैरमौजूदगी में उसके घर आता-जाता था।

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कर्नाटक हाईकोर्ट में उसने बताया कि वह इस विवाद में थर्ड पार्टी है और अवैध संबंध के आरोप में उसे फ्रेम किया जा रहा है। महिला के कथित प्रेमी की स्वीकार करते हुए जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने कहा है कि इस मामले में याचिकाकर्ता की मोबाइल डिटेल नहीं ली जा सकती है। यह उसकी प्राइवेसी का हनन है। कोर्ट ने मोबाइल कंपनी को दिए फैमी कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है। तो वहीं, जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत देश के नागरिकों को दिए गए जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार में निजता का अधिकार भी शामिल है। यह अकेले रहने का अधिकार है। एक नागरिक का अधिकार है कि वह अपनी, अपने परिवार, विवाह और अन्य आकस्मिक संबंधों की प्राइवेसी की रक्षा करें। किसी व्यक्ति की पर्सनल डिटेल भी उसकी प्राइवेसी का पार्ट है। इसलिए, फैमिली कोर्ट याचिकाकर्ता से संबंधित मोबाइल फोन डिटेल को कार्यवाही में न रखे, जिसमें वह थर्ड पार्टी है। यह गोपनीयता का उल्लंघन है।

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