J&K DG Murder: सुरक्षा की कमी... या चूक! वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जेल हेमंत लोहिया के कत्ल से जुड़े हैं ये सवाल

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हेमंत के लोहिया का कत्ल जम्मू के उदयवाला में उनके दोस्त के घर पर हुआ। वहां रहने की वजह ये थी कि उनके सरकारी आवास में मरम्मत का काम चल रहा था। मगर जिस वक्त उनका कत्ल हुआ, उस वक्त उनके तमाम सुरक्षाकर्मी कहां थे?
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर पुलिस के जेल महानिदेशक हेमंत के लोहिया (Hemant K Lohia) का कातिल उनका नौकर ही निकला। जिसे पुलिस ने दबिश देकर गिरफ्तार कर लिया है। अब आरोपी यासिर अहमद से गहन पूछताछ की जा रही है। मगर इस मामले में कई ऐसे सवाल हैं, जो इस हत्याकांड के पीछे किसी बड़ी साजिश के होने का इशारा कर रहे हैं। साथ ही डीजी की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
दरअसल, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हेमंत के लोहिया का कत्ल जम्मू के उदयवाला में उनके दोस्त के घर पर हुआ। जहां वह पिछले करीब 6 माह से रह रहे थे। वहां रहने की वजह ये थी कि उनके सरकारी आवास में मरम्मत का काम चल रहा था। मगर जिस वक्त उनका कत्ल हुआ, उस वक्त उनके तमाम सुरक्षाकर्मी कहां थे? ये सवाल अपने आप में एक बड़ी मिस्ट्री बनता जा रहा है।
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मिस्ट्री इसलिए भी कि हेमंत लोहिया को जेड श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई थी। जिसके तहत उनके साथ एक नहीं दो नहीं बल्कि कई सुरक्षाकर्मियों की तैनाती थी। मगर जब कत्ल हुआ तब मौका-ए-वारदात पर एक भी सुरक्षाकर्मी या गनर मौजूद नहीं था।
आरोपी नौकर ने पहले हेमंत के लोहिया पर ताबड़तोड़ वार किए, जिसकी गवाही उनके मुर्दा जिस्म पर मिले जख्मों से मिलती है। और फिर उसने तेजधार हथियार से डीजी का गला रेत दिया। जब उनकी लाश बरामद हुई तो उनके शरीर पर चोट और जलने के निशान मिले। सुरक्षा की कमी के चलते ही आरोपी वारदात को अंजाम देकर आराम से फरार हो गया।
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जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने बताया कि आरोपी ने कत्ल के बाद हेमंत लोहिया की लाश को जलाने की कोशिश भी की थी। मतलब ये कि मौका-ए-वारदात पर इतना सबकुछ होता रहा, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी। जानकार मानते हैं कि अगर आरोपी को उनका मर्डर ही करना था, तो वो उन्हें खाने या चाय-पानी में जहर देकर भी मार सकता था।
कुछ जानकारों के मुताबिक यह वारदात एक बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकती है। जिसके लिए एक योजना पर लंबे समय से काम किया जा रहा था। पहले आरोपी नौकर ने कई सरकारी अफसरों के साथ काम किया। उनका विश्वास जीता। फिर अपनी अच्छी छवि बनाई। इसके बाद उसने सही मौका देखकर हमला किया और बेरहमी के साथ हेमंत के लोहिया को मौत के घाट उतार दिया।
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मगर फिर सवाल वही है कि आखिर इतने बड़े अफसर की सुरक्षा में ऐसी चूक कैसे हो सकती है। उनकी हत्या के पीछे कई ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब मिलना अभी बाकी है। मसलन-
- वारदात के वक्त हेमंत उस घर में अकेले क्या कर रहे थे?
- उस वक्त उनके सारे सुरक्षाकर्मी और गनर कहां थे?
- जेड़ श्रेणी की सुरक्षा होने के बाद भी वह अकेले कैसे थे?
- इतनी बेरहमी से उनका कत्ल किया गया तो किसी ने उनकी आवाज़ क्यों नहीं सुनी?
- क्या उन्होंने खुद ही सुरक्षा लेने से मना किया था?
- अगर हां, तो डीजी जेल सुरक्षा क्यों नहीं लेना चाहते थे?
- सरकारी आवास में काम चल रहा था, तो वे पुलिस मैस में क्यों नहीं रहे?
- हेमंत अपने दोस्त के निज निवास पर क्यों रह रहे थे?
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डीजी जेल हेमंत लोहिया की हत्या के बाद फौरन लश्कर-ए-तैयबा (LET) से जुड़े आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front) ने इस वारदात की जिम्मेदारी ले ली। TRF एक ऐसा आतंकी संगठन है, जो टारगेट किलिंग पर ही फोकस करता है। ये आतंकी संगठन 2019 में वजूद में आया था। हालांकि इसका नाम धारा 370 हटाए जाने के बाद उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब इसने टारगेट किलिंग की कई वारदातों को अंजाम दिया था। अब माना जा रहा है कि ये आतंकी समूह नई रणनीति अपनाकर इस तरह की वारदातों पर फोकस कर रहा है।
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भले ही पुलिस ने कत्ल के आरोपी नौकर यासिर अहमद को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन इस हत्याकांड के पीछे अभी भी आतंकी साजिश की आशंका बरकरार है। इसकी वजह ये भी हो सकती है कि जिस तरह से आतंकियों के खिलाफ घाटी में एक्शन लिया गया है, उससे लश्कर और पाक एजेंसी आईएसआई की नींद उड़ गई है। लश्कर और आईएसआई ने ही टीआरएफ (TRF) को घाटी में आतंक फैलाने के मिशन पर लगाया था। ऐसे में उस संगठन का कत्ल की जिम्मेदारी लेना भी कहीं ना कहीं मामले को आतंकी कनेक्शन की तरफ ले जाता है।
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