Indo-China Border Dispute: चीन सीमा पर सेना ने प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल तैनात करने का लिया फैसला, जानिए क्यों...

नई दिल्ली। भारतीय सेना पहली बार चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद को देखते हुए, टैक्टिकल ऑपरेशंस के लिए बैलिस्टिक मिसाइल को शामिल करने जा रही है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक LAC पर सेना ने प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल तैनात करने का फैसला लिया है। भारत-चीन सीमा पर इस मिसाइल की तैनाती की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अगले हफ्ते एक हाई लेवल मीटिंग के दौरान इस पर मंजूरी मिलने की संभावना है। भारत की तीनों सेनाएं इस समय रॉकेट फोर्स बनाने के प्रयास में है। ऐसे में जल्द ही प्रलय मिसाइल की तैनाती संभव है।
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तो वहीं, बीते दिनों नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा था कि स्वर्गीय जनरल बिपिन रावत रॉकेट फोर्स बनाने पर काम कर रहे थे। ताकि सीमा पर दुश्मन को काउंटर किया जा सके। प्रलय मिसाइल में सॉलिड प्रोपेलेंट वाला रॉकेट मोटर लगा है। साथ में नई टेक्नोलॉजी भी। मिसाइल के गाइडेंस सिस्टम में स्टेट-ऑफ-द-आर्ट नेविगेशन एंड इंटिग्रेटेड एवियोनिक्स लगा है। प्रलय जमीन से जमीन पर मार करने वाले क्वासी मिसाइल है।
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DRDO ने अभी तक प्रलय की गति का खुलासा नहीं किया गया है। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह मिसाइल रात में भी दुश्मनों को अपना निशाना बनाने में सक्षम है। अगर पड़ोसी देशों की बात करें तो चीन के पास इस स्तर की डोंगफेंग 12 मिसाइल है। जबकि, पाकिस्तान के पास गजनवी, एम-11 और शाहीन मिसाइल है। गजनवी, एम-11 पाकिस्तान को चीन से मिली है। गजनवी 320 किलोमीटर, एम-11 350 किलोमीटर और शाहीन 750 किलोमीटर रेंज कि मिसाइलें हैं।
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रिपोर्ट्स की मानें तो प्रलय के निर्माण की बात 2015 से ही चल रही थी। DRDO ने अपने वार्षिक रिपोर्ट में इस मिसाइल का जिक्र किया था। इस मिसाइल की सटीकता चीन की बैलिस्टिक मिसाइलों के सामने में पूरी तरह सक्षम बनाती है। इसे जमीन के साथ-साथ कनस्टर से भी दागा जा सकता है। प्रलय मिसाइल दूसरे शॉर्ट रेंज बैलेस्टिक मिसाइलों की तुलना में ज्यादा घातक बताई जा रही है। यह मिसाइल 150 से 500 किलोमीटर तक अपने टारगेट को निशाना बना सकता है। बता दें कि दिसंबर 2021 में लगातार दो दिनों में दो बार इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था। तब से भारतीय सेना इसके अधिग्रहण और शामिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
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