Hijab Row: हिजाब पर बैन सही है या गलत, अब इस पर फैसला करेंगे CJI यूयू ललित
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि अब CJI यह तय करेंगे कि इस मामले पर सुनवाई के लिए बड़ी बेंच गठित की जाए या फिर कोई और बेंच।

नई दिल्ली। हिजाब पर बैन सही है या गलत, इस पर फैसला अब CJI यूयू ललित करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने जब गुरुवार को फैसला सुनाया तो दो जजों की बेंच की इस मामले पर राय अलग-अलग थी। 10 दिनों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। आगे क्या होगा, ये जानने के लिए दैनिक भास्कर ने सुप्रीम कोर्ट के वकील ध्रुव गुप्ता से बात की। उन्होंने कहा कि अब यह मामला संविधान पीठ के पास भेजा जा सकता है। पीठ में जज कौन होगा ये CJI ही तय करेंगे। चीफ जस्टिस ही बेंच का गठन करेंगे। बेंच गठन होने के बाद ही सुनवाई पर फैसला होगा। इसमें 1-2 महीने का वक्त लग सकता है। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि यह मामला CJI को भेजा जा रहा है, ताकि वे उचित निर्देश दे सकें। याचिकाकर्ता के वकील एजाज मकबूल ने कहा कि अब CJI यह तय करेंगे कि इस मामले पर सुनवाई के लिए बड़ी बेंच गठित की जाए या फिर कोई और बेंच।
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SC ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ विभाजित फैसला (Split Verdict) दिया है। ऐसे में अभी हिजाब बैन पर कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला ही लागू होगा। सरकार हिजाब पर बैन बरकरार रख सकती है। हां, याचिकाकर्ता चाहें तो CJI के पास अर्जेंट हियरिंग के लिए पिटिशन दाखिल कर सकते हैं। मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की दलील थी कि छात्राएं स्टूडेंट्स के साथ भारत की नागरिक भी हैं। ऐसे में ड्रेस कोड का नियम लागू करना उनके संवैधानिक अधिकार का हनन होगा।
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सुप्रीम कोर्ट में हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 26 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। याचिकाकर्ता का कहना था कि हाईकोर्ट ने धार्मिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को देखे बिना हिजाब बैन पर फैसला सुना दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव धवन, दुष्यंत दवे, संजय हेगड़े और कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा तो सरकार की ओर से सॉलिसटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में पेश हुए। दरअसल कर्नाटक हाईकोर्ट ने 15 मार्च को उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की कुछ मुस्लिम छात्राओं की तरफ से क्लास में हिजाब पहनने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने अपने पुराने आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की जरूरी प्रैक्टिस का हिस्सा नहीं है। इसे संविधान के आर्टिकल 25 के तहत संरक्षण देने की जरूरत नहीं है।
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