बिलकिस बानो गैंगरेप केस के 11 दोषियों को दी गई छूट के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई फरवरी तक टली, जानें पूरा मामला...

नई दिल्ली। बिलकिस बानो गैंगरेप केस के 11 दोषियों को दी गई छूट के खिलाफ नई याचिकाएं दायर की गईं। जिनकी सुनवाई फरवरी तक टल गई है। मामला सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच में पहुंचा था। जहां जस्टिस बेला त्रिवेदी ने एक बार फिर खुद को इस मामले से अलग कर लिया। गौरतलब है कि जस्टिस बेला त्रिवेदी ने पिछले महीने भी बानो की पुनर्विचार याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। बेंच ने यह भी कहा, सामाजिक कार्यकर्ताओं की तरफ से दाखिल याचिकाओं को भी पीड़ित बिलकिस की याचिका के साथ सुना जाएगा।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब बिलकिस ने खुद याचिका दायर की है, तो इस बिंदु पर कोई आपत्ति नहीं है। साथ ही जस्टिस रस्तोगी ने कहा, मैरिट के आधार पर बताएं इस पर सुनवाई क्यों होनी चाहिए? सभी याचिकाएं मुख्य याचिका के साथ सुनी जाएंगी। पीड़िता के याचिका दायर करने के बाद पॉइंट ऑफ लोकस चला जाता है। इन सभी याचिकाओं को उस बेंच में लिस्टेड करें जिसकी हिस्सा जस्टिस त्रिवेदी नहीं हैं।
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आपको बता दे, याचिकाएं माकपा की पूर्व नेता सुहाषिनी अली द्वारा जबकि दूसरी याचिका TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने दायर की हैं। इनमें दावा किया गया है कि जब मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा की गई थी, तो गुजरात सरकार, केंद्र सरकार की अनुमति के बिना छूट देने की स्थिति में नहीं थी। बावजूद इसके दोषी कैसे रिहा किए गए। तो वहीं, गुजरात सरकार ने 2002 में बिलकिस के साथ गैंगरेप और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों को समय से पहले रिहा कर दिया था।
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पिछले महीने बिलकिस की समीक्षा याचिका को अदालत ने 13 दिसंबर, 2022 को खारिज कर दिया था। साथ ही बिलकिस बानो ने 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की थी। वहीं, दूसरी याचिका में कोर्ट के मई में दिए आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। इस पर बिलकिस ने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है।
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