Gyanvapi Masjid Case: सुप्रीम कोर्ट जाएगा ज्ञानवापी विवाद, कार्बन डेटिंग से कथित शिवलिंग की जांच की मांग खारिज, जानिए क्या है मामला...

नई दिल्ली। वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में मिले 'कथित शिवलिंग' की उम्र का पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग नहीं होगी। चार हिंदू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिली शिवलिंग जैसी संरचना की वैज्ञानिक जांच कराने की मांग की थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से यह जांच कराने की मांग थी। वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने यह याचिका खारिज कर दी। ज्ञानवापी केस की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी। फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष के वकील मोहम्मद तौहीक खां ने कहा कि जिला कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और जनता की धार्मिक भावना को ध्यान में रखते हुए कार्बन डेटिंग या किसी अन्य वैज्ञानिक पद्धति से कथित शिवलिंग की जांच की मांग खारिज कर दी है। हमने उनकी मांग का इसी आधार पर विरोध किया था कि कथित शिवलिंग की जांच की मांग मुकदमे से संबंधित नहीं है। यहां तो सिर्फ पूजा का अधिकार मांगा गया था।
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इस मामले में याचिका लगाने वाली महिलाओं का कहना था कि हमारे मुकदमे में दृश्य या अदृश्य देवता की बात कही गई है। सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाने से पानी निकाले जाने पर अदृश्य आकृति दृश्य रूप में दिखाई दी। ऐसे में अब वह मुकदमे का हिस्सा है। ऐसे में उस आकृति को नुकसान पहुंचाए बगैर उसकी और उसके आसपास के एरिया की वैज्ञानिक पद्धति से जांच जरूरी है। हिंदू पक्ष ने कहा था कि कार्बन डेटिंग से आकृति की आयु, उसकी लंबाई-चौड़ाई और गहराई का तथ्यात्मक रूप से पता लग सकेगा। बीते 11 अक्टूबर को दोनों पक्ष की बहस खत्म हुई तो कोर्ट ने अपना ऑर्डर सुरक्षित रखते हुए सुनवाई की अगली डेट 14 अक्टूबर तय की थी।
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एक तरफ मुस्लिम पक्ष के वकील कह रहे हैं कि अदालत ने उनकी बातों को सही पाया और वे अदालत के आदेश से खुश हैं। दूसरी तरफ हिंदू पक्ष के वकील शिवम गौड़ ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कथित शिवलिंग मिलने की जगह को सुरक्षित और संरक्षित किया जाए। इसका हवाला देते हुए जिला कोर्ट ने कार्बन डेटिंग या अन्य वैज्ञानिक पद्धति से जांच की मांग खारिज कर दी है। अब हिंदू पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाएगा।
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