2 मिनट में पाकिस्तान में घुस जाएंगे लड़ाकू विमान डीसा एयरबेस से, जानें क्यों है यह खास

 
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गुजरात में बनासकांठा जिले के डीसा में बनने जा रहा वायुसेना का नया एयरबेस देश के सुरक्षा चक्र को और मजबूती देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को इसकी आधारशिला रखी।

 

नई दिल्ली। गुजरात में बनासकांठा जिले के डीसा में बनने जा रहा वायुसेना का नया एयरबेस देश के सुरक्षा चक्र को और मजबूती देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को इसकी आधारशिला रखी। एक हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला ये एयरबेस पाकिस्तानी सीमा से महज 130 किलोमीटर दूर है। वर्ष 2024 में इसका काम पूरा होगा, जिसके बाद पश्चिमी सीमा पर देश की सुरक्षा और चाक-चौबंद होगी। दुश्मन पर हमला करने के लिए सिर्फ दो मिनट में लड़ाकू विमान अंतरराष्ट्रीय सीमा में घुस सकते हैं। केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 में इसको बनाने का फैसला किया था।

वायुसेना को अगले दो साल में मिलने वाले इस नए एयरबेस से बोइंग सी-17 ग्लोब मास्टर, राफेल, सुखोई, मिग-29, तेजस जैसे विध्वंसक लड़ाकू विमान उड़ान भर सकेंगे। नया एयरबेस स्वदेशी हेलीकॉप्टर और डीआरडीओ के स्वदेशी रडार का नया ठिकाना होगा। इनके जरिए सीमावर्ती क्षेत्रों में दुश्मन की हर गतिविधि पर वायुसैनिक नजर रख सकेंगे।

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गुजरात में देश का 5वां एयरबेस
गुजरात में डीसा एयरबेस देश का 5वां एयरबेस होगा। वडोदरा, जामनगर, भुज और नालिया में पहले से वायुसेना का एयरबेस है। देश में वायुसेना के कुल एयरबेस की संख्या 60 से अधिक है। देश के सभी एयरबेस से आपात स्थिति में कई तरह के लड़ाकू विमान एकसाथ उड़ान भर सकते हैं।

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तीन राज्यों को मिलेगी हवाई सुरक्षा
रणनीतिक लिहाज से दक्षिण पश्चिम एयर कमांड के लिए इस एयरबेस को अहम माना जा रहा है। गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे तीन बड़े राज्यों की हवाई सुरक्षा इस एयरबेस से मजबूत होगी। इसके अलावा गुजरात के भुज, कच्छ के नालिया और राजस्थान के जोधपुर, जयपुर, बाड़मेर के एयरबेस से समन्वय स्थापित करने के लिए ये नया केंद्र होगा।

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डीसा में अभी सिर्फ एक रनवे
केंद्र सरकार की उड़ान योजना के तहत डीसा में एक हजार मीटर का सिर्फ एक रनवे है। इसका प्रयोग वीआईपी मूवमेंट, चार्टर प्लेन और हेलीकॉप्टरों के लिए किया जाता है। केंद्र सरकार और वायुसेना ने इसे वायुसेना के एयरबेस के रूप में बदलने का फैसला इसलिए लिया है, क्योंकि ये पाकिस्तानी सीमा से लगता हुआ क्षेत्र है जो युद्ध में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

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लड़ाकू जहाजों के लिए बंकर बनेगा
डीसा एयरबेस पर लड़ाकू विमानों को दुश्मन के हमले से बचाने के लिए यहां नेक्सट जनरेशन हार्डेन्ड एयरक्राफ्ट शेल्टर (एनजीएचएस) का निर्माण होगा। ये बंकर इतने मजबूत होंगे कि एक हजार किलोग्राम वजनी बम से भी विमानों का कुछ नहीं बिगड़ेगा। केंद्र ने इसके लिए 5500 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। देश से लगती सीमाओं पर 108 एनजीएचएस का निर्माण होना है।

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एयरबेस पर लगेगा सोलर फॉर्म
वायुसेना का ये नया एयरबेस कई मायनों में दूसरे एयरबेस से अलग होगा। केंद्र की योजना के अनुसार, एयरबेस पर सुरक्षा की दृष्टि से स्मार्ट फेंसिंग का इस्तेमाल किया जाएगा, सेंसरयुक्त लाइट लगाने का काम होगा। स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता के लिए यहां सोलर फॉर्म बनाए जाएंगे। एयरबेस के निर्माण में कई और स्वदेशी तकनीकों का इस्तेमाल होना है।

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