Engineers Day 2022 : इंजीनियर्स डे के रूप में मनाया जाता है इस महान इंजीनियर का जन्मदिन, जानें उनके बारे में...
आज Engineers Day 2022 पर देश के भावी इंजीनियर्स उन्हें याद कर रहे हैं।

नई दिल्ली। भारत में इंजीनियर्स डे भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती पर 15 सितंबर को मनाया जाता है। दूसरे शब्दों में इसे 'अभियंता दिवस' भी कहते है। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का देश के लिए अहम योगदान रहा हैं। उन्होंने कई ऐसे बांध बनाए, जिसका उदाहरण आज भी पूरी दुनिया के इंजीनियर्स के लिए मिसाल हैं। आज Engineers Day 2022 पर देश के भावी इंजीनियर्स उन्हें याद कर रहे हैं।
उनके जीवन और उनके काम के बारे में जानने के यदि आप इच्छुक है तो उन पर बनी फिल्में और डॉक्यूमेंट्री देख सकते है जो यूट्यूब पर उपलब्ध हैं।
विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को मैसूर (कर्नाटक) के कोलार जिले के चिक्काबल्लापुर तालुका में हुआ था। उनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत के विद्वान और आयुर्वेद चिकित्सक थे और उनकी माँ गृहणी थी। अपनी शुरूआती पढ़ाई अपने जन्मस्थान से ही पूरी की। 12 साल की उम्र में ही उनके पिता की मृत्यु हो गई। आगे की पढ़ाई करने के लिए विश्वेश्वरैया ने बेंगलुरू के सेंट्रल कॉलेज में प्रवेश लिया. विश्वेश्वरैया ने सन् 1881 में बीए की परीक्षा में टॉप किया। मेधावी छात्र होने की वजह से उन्हें सरकार के द्वारा आगे पढ़ाई करने का मौका मिला और मैसूर सरकार की मदद से इंजीनियरिंग (Engineering) की पढ़ाई के लिए पूना के साइंस कॉलेज में एडमिशन लिया। 1883 की एलसीई और एफसीई (आज के समय की BE) की परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त करके अपनी योग्यता का परिचय दिया। इसी उपलब्धि के चलते महाराष्ट्र सरकार ने इन्हें नासिक में सहायक इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया।
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इतना कि उन्हें भारतीय विकास के जनक के रूप में देखा जाने लगा। हैदराबाद शहर के बाढ़ सुरक्षा प्रणाली के मुख्य डिजाइनर और मैसूर के कृष्णसागर बांध के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाने वाले शख्स थे। मात्र 32 साल की उम्र में सिंध महापालिका के लिए कार्य करते हुए उन्होंने सिंधु नदी को सुक्कुर कस्बे की जलापूर्ति के लिए जो योजना बनाई, उससे सभी इंजीनियरों और वहां के सरकार ने बहुत पसंद किया। अंग्रेज सरकार ने सिंचाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए उपायों को ढूंढने के लिए एक समिति बनाई।
उन्होंने नई ब्लॉक प्रणाली का आविष्कार किया, जिसके अंतर्गत स्टील के दरवाजे बनाए जो बांध के पानी के बहाव को रोकने में मदद करती थी। उनकी इस प्रणाली की काफी तारीफ हुई और आज भी यह प्रणाली पूरे दुनिया में प्रयोग में लाई जा रही है। जिसके बाद उन्हें 1909 में मैसूर राज्य का मुख्य अभियन्ता (चीफ इंजीनियर) नियुक्त किया गया। विश्वेश्वरैया ने वहां की आधारभूत समस्याओं जैसे अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी को लेकर कुछ मूलभूत काम किये।
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उनके काम से खुश होके तत्कालीन राजा उन्हें राज्य का दीवान यानी मुख्यमंत्री घोषित कर दिया गया। सन् 1912 से लेकर 1918 तक उन्होंने अपने राज्य के लिए बहुत सामाजिक और आर्थिक कार्यों में योगदान दिया। विश्वेश्वरैया नें मैसूर में लड़कियों के लिए अलग से हॉस्टल और पहला फर्स्ट ग्रेड कॉलेज, महरानी कॉलेज खुलवाने का श्रेय जाता है। इसके अलावा एशिया के बेस्ट प्लान्ड लेआउट्स में जयानगर, जो कि बेंगलुरु में स्थित है, इसकी पूरी डिजाइन और बनाने का श्रेय सर एम. विश्वेश्वरैया को ही जाता है।
विश्वेश्वरैया भारत के माने हुए सफल इंजीनियर, विद्वान और सामजिक कार्यकर्ता होते हुए कई महान काम करने के कारण उन्हें साल 1955 में उन्हें 'भारत रत्न' सम्मान दिया गया।
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