Economy: लोकसभा में देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था पर बहस, निर्मला सीतारमण ने कहा, कुछ लोग बढ़ती इकोनॉमी से जलते हैं

नई दिल्ली। लोकसभा में देश की अर्थव्यवस्था पर सवाल उठाते हुए विपक्ष ने डॉलर के मुकाबले गिरते रुपए को लेकर सवाल किए। इस पर वित्तमंत्री ने कहा, कि संसद में कुछ लोग देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था से जलते हैं। भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, लेकिन विपक्ष को इससे परेशानी है। आपको बता दे, संसद का यह सत्र 17 दिनों तक चलने वाला है। इस दौरान सरकार संसद में 16 बिल पेश करेगी। पहले दिन जहां राज्यसभा में वन्य जीव संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022 पर चर्चा हुई, जबकि लोकसभा में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की मांग उठी। राज्य सभा के 258वें सत्र का पहला दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के लिए भी खास रहा, जो बतौर राज्यसभा स्पीकर कार्रवाई का उनका पहला दिन था।
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कांग्रेस के सांसद रेवनाथ रेड्डी ने प्रश्नकाल में कहा कि केंद्र को केवल सरकार बचाने की चिंता है। रुपया लगातार गिरता जा रहा है, उसकी कोई चिंता नहीं है। कांग्रेस सरकार में जब डॉलर के मुकाबले रुपया 66 रुपए था तो भाजपा कहती थी कि रुपया ICU में चला गया। ICU से आगे के दो रास्ते होते हैं। पहल रास्ता ठीक होकर घर आना और दूसरा ICU से सीधा मर्चुरी में जाना। अब तो रुपया सीधा मर्चुरी में चला गया है। मैं वित्त मंत्री से पूछना चाहता हूं कि रुपया को ठीक करके वापस घर लाने का कोई प्लान है क्या? जिसका वित्तमंत्री निर्मला ने जवाब देते हुए कहा, कांग्रेस के समय रुपया ही नहीं बल्कि पूरी इकोनॉमी ICU में थी। कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद आज भारत की इकोनॉमी बढ़ रही है। इससे संसद में बैठे कुछ लोगों को जलन और परेशानी हो रही है। देश की बढ़ती इकोनॉमी पर गर्व होना चाहिए, ना कि मजाक उड़ाना चाहिए।
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तो वहीं, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया है। यह बिल इलेक्शन कमीशन की स्वतंत्रता और स्वायत्तता पर बढ़ती चिंता पर है। बिल में इलेक्शन कमीशन को और भी ज्यादा पावर देने की बात कही गई है। इसमें हाई लेवल कमेटी बनाने की मांग की गई है, जो कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विपक्ष के नेता, CJI मिलकर मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेंगे। साथ ही लोकसभा में भाजपा के सत्यदेव पचौरी ने शून्यकाल में जनसंख्या नियंत्रण कानून उठाने की मांग करते हुए कहा, देश में खेती और आवासीय भूमि सीमित है। कई संसाधन सीमित हैं। बेरोजगारी बढ़ रही है। ऐसे में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाना जरूरी हो गया है।
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