Congress president nomination: कांग्रेस में 5 दशक, मल्लिकार्जुन खड़गे की एंट्री ने दिलचस्प बनाया अध्यक्ष पद का चुनाव

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव से अशोक गहलोत के बाहर जाने के बाद अब मल्लिकार्जुन खड़गे इस रेस में उतर गए हैं। खड़गे ने आज कांग्रेस मुख्यालय पहुंचकर अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। खड़गे 8 बार विधायक और 2 बार लोकसभा सांसद रहे हैं। फिलहाल राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं।
नई दिल्ली। इस साल 21 जुलाई से दो दिन पहले कर्नाटक के गुलबर्ग में एक शानदार जश्न की तैयारी हो रही थी। जश्न की तैयारी कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के जन्मदिन के लिए हो रही थी। 21 जुलाई को खड़गे का 80वां जन्मदिन था। एक ओर जश्न की तैयारी हो रही थी, तो दूसरी ओर खड़गे ने एक बयान जारी कर कहा कि कोई जश्न नहीं होगा। इसका कारण ये था कि 21 जुलाई को ही सोनिया गांधी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सामने पेश होना था।
मल्लिकार्जुन खड़गे राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं। जिस दिन उनका 80वां जन्मदिन था, उस दिन वो संसद से सड़क पर उतर आए थे और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहे थे। बाद में दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
तब कांग्रेस के एक सीनियर नेता और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य ने कहा, 'ये मल्लिकार्जुन खड़गे हैं, जो एक ठोस कांग्रेसी हैं। वो सड़क पर लड़ रहे हैं और कांग्रेस की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं।'
अब जब कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा कर्नाटक में एंट्री कर चुकी है, तब खड़गे दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे और अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल कर दिया। खड़गे के गांधी परिवार, खासकर राहुल गांधी से अच्छे रिश्ते हैं।
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कट्टर कांग्रेसी
अगला कांग्रेस अध्यक्ष कैसा होना चाहिए? इस बारे में जब राहुल गांधी से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'अगला कांग्रेस अध्यक्ष कोई भी बने, बस उसे ये याद रखना चाहिए कि आप विचारों के समूह, विश्वास प्रणाली और भारत के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करते हैं।'
राहुल गांधी ने जो कहा, खड़गे उसमें एकदम फिट बैठते हैं। खड़गे एक कट्टर कांग्रेसी हैं, जो जमीनी स्तर से संगठन में उभरकर सामने आए हैं। 1969 में वो गुलबर्ग सिटी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने और अलग-अलग स्तरों पर संगठन के लिए काम किया है।
खड़गे के साथ एक अच्छी बात ये भी है कि विपक्षी नेताओं से भी उनके अच्छे संबंध हैं। आज जब भारत जोड़ो यात्रा कर्नाटक पहुंची, तब नामांकन दाखिल हो रहे हैं। 17 अक्टूबर को जब अध्यक्ष का चुनाव होगा, तब यात्रा बेल्लारी में होगी। और 19 अक्टूबर को जब रिजल्ट आएगा, तब यात्रा कर्नाटक में आखिरी चरण में होगी।
सूत्रों ने बताया कि कर्नाटक कांग्रेस के लिए एक अहम राज्य है और इसके जीतने की संभावना बहुत बड़ी है। कर्नाटक में यात्रा की अवधि सबसे लंबी है। खड़गे के जरिए पार्टी ने संदेश देने की कोशिश की है कि उसके लिए दलित मायने रखते हैं और कर्नाटक भी मायने रखता है।
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जमीनी नेता हैं खड़गे
खड़गे कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। वो 8 बार विधायक और 2 बार लोकसभा सांसद रहे हैं। अभी राज्यसभा के सदस्य हैं। अपने राजनीतिक जीवन में वो सिर्फ एक बार चुनाव हारे हैं और वो भी 2019 का लोकसभा चुनाव। खड़गे का लगातार 10 चुनाव जीतने का ट्रैक रिकॉर्ड है। 8 बार विधानसभा और 2 बार लोकसभा।
दोनों यूपीए सरकार में खड़गे की अहम भूमिका रही है। संगठन में भी उनकी भूमिका काफी अहम है। कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता रहने के अलावा वो वहां के गृह मंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री भी रह चुके हैं।
यूपीए-2 में मई 2009 से जून 2014 तक खड़गे श्रम और रोजगार मंत्री रहे हैं। जून 2013 से मई 2014 तक उन्होंने रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली। 2014 में पार्टी के हार के बाद वो लोकसभा में कांग्रेस के नेता रहे और अभी राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं।
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सड़क से संसद तक के नेता
खड़गे ने सड़क से संसद तक का सफर तय किया है। गुलबर्ग में सरकारी कॉलेज में जब वो पढ़ाई कर रहे थे, तब उन्हें छात्र संघ का महासचिव चुना गया था। कॉलेज के दिनों में उन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए कई आंदोलन किए थे।
उनके पास कानून की डिग्री है। 1969 में खड़गे कांग्रेस में शामिल हो गए। ये वो समय था जब खड़गे संयुक्त मजदूर संघ के प्रभावशाली नेता बनकर उभरे थे। उसी समय उन्हें गुलबर्ग कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना दिया गया। उन्होंने मजदूरों के हक में कई केस भी लड़े हैं।
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1972 में खड़गे ने अपना पहला चुनाव लड़ा। उन्होंने गुरमितकल सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा। ये विधानसभा गुलबर्ग लोकसभा के अंतर्गत आती है। तब से लेकर 2019 तक खड़गे ने जो भी चुनाव लड़ा, उसमें उनकी जीत हुई।
खड़गे के पांच बच्चे हैं। उनमें से एक प्रियंक खड़गे है, जो कर्नाटक सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
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