CJI DY Chandrachud: जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ बने देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

नई दिल्ली। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने आज भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वरिष्ठतम न्यायाधीश को राष्ट्रपति भवन में मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ दिलाई। इससे पहले उनके पिता यशवंत चंद्रचूड़ भी CJI के रूप में देश की कमान संभाल चुके हैं। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, सुप्रीम कोर्ट के जज, केंद्रीय मंत्री समेत तमाम गणमान्य लोग उपस्थित रहे। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा।
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बता दें, 50वें CJI के रूप में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यूयू ललित की जगह ली है। 11 अक्टूबर को CJI उदय उमेश ललित ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाए जाने की सिफारिश की थी। राष्ट्रपति मुर्मू ने उन्हें 17 अक्टूबर को अगला CJI नियुक्त किया था। जस्टिस ललित का CJI के तौर पर 74 दिनों का छोटा कार्यकाल था, जो 8 नवंबर को पूरा हो गया।
दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ दिलाई। pic.twitter.com/lXjYzGcy1W
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 9, 2022
साल 2000 में पहली बार जज बने थे चंद्रचूड़
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ 2016 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। उससे पहले वह इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे। जज के रूप में उनकी पहली नियुक्ति साल 2000 में बॉम्बे हाई कोर्ट में हुई थी। उससे पहले 1998 से 2000 तक वह भारत सरकार के एडिशनल सॉलिसीटर जनरल रहे। उन्होंने 1982 में दिल्ली विश्वविद्यालय से वकालत की डिग्री हासिल की थी। उन्होंने प्रतिष्ठित हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाई की।
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पिता भी रह चुके हैं CJI
जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के पवित्र गलियारों से बेहद अच्छी तरह वाकिफ हैं। यहां उनके पिता लगभग सात साल और चार महीने तक चीफ जस्टिस रहे थे, जो शीर्ष अदालत के इतिहास में किसी CJI का सबसे लंबा कार्यकाल रहा है। उनके पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ देश के 16वें चीफ जस्टिस के रूप में कमान संभाली थी। वह 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रहे।
LIVE: Swearing-in-Ceremony of the Chief Justice of India Dr Justice D.Y. Chandrachud at Rashtrapati Bhavan https://t.co/sTd1dC8fkm
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 9, 2022
कई मामलों में अहम भूमिका में रहे चंद्रचूड़ के फैसले
हाल ही में उन्होंने अविवाहित महिलाओं को भी 20 से 24 हफ्ते के गर्भ को गिराने की अनुमति दी। इस ऐतिहासिक फैसले में उन्होंने यह भी कहा कि अगर पति ने ज़बरन संबंध बना कर पत्नी को गर्भवती किया है, तो उसे भी 24 हफ्ते तक गर्भपात का अधिकार होगा। इस तरह गर्भपात के मामले ने ही सही, कानून में पहली बार वैवाहिक बलात्कार यानी मैरिटल रेप को मान्यता मिली।
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डी. वाई. चंद्रचूड़ का करियर
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 11 नवंबर 1959 को पैदा हुए और 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गए थे। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 29 मार्च 2000 से 31 अक्टूबर 2013 तक मुंबई हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे। उसके बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को जून 1998 में मुंबई हाईकोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया था और वह उसी वर्ष एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किए गए। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए ऑनर्स किया। उन्होंने कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से LLB किया और अमेरिका के हार्वर्ड लॉ स्कूल से LLM और न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
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