Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की बिलकिस बानो की पुनर्विचार याचिका, 11 दोषियों की रिहाई को दी थी चुनौती

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों की पीड़ित बिलकिस बानो द्वारा 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका शनिवार को खारिज कर दी। बिलकिस बानो ने 2002 में अपने साथ हुए गैंगरेप मामले में गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों की सजा माफ करने को चुनौती दी थी। इसमें उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से मांग की थी कि वह अपने उस आदेश की समीक्षा करे, जिसके तहत उसने गुजरात सरकार को 1992 की नीति के तहत दोषियों को छूट देने पर विचार के लिए कहा था।
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बता दें कि मामले में 2008 में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से उस वक्त रिहा कर दिया गया था, जब गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी थी।
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दोषियों की इसी रिहाई को चुनौती देते हुए समय से पहले रिहाई को चुनौती देते हुए बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। इसमें 13 मई के आदेश पर दोबारा विचार करने की मांग की गई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गैंगरेप के दोषियों की रिहाई में 1992 में बने नियम लागू होंगे। इसी आधार पर 11 दोषियों की रिहाई हुई थी। वहीं बिलकिस बानो के वकील ने लिस्टिंग के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामले का उल्लेख किया था।
सुप्रीम कोर्ट के असिस्टेंट रजिस्ट्रार द्वारा बिलकिस बानो की वकील शोभा गुप्ता को भेजे गए संदेश में कहा गया है कि मुझे आपको यह सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट में दायर उक्त पुनर्विचार याचिका 13 दिसंबर 2022 को खारिज कर दी गई।
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ये है पूरा मामला -
गुजरात में गोधरा कांड के बाद 3 मार्च 2002 को दंगे भड़के थे। दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में रंधिकपुर गांव में उग्र भीड़ बिलकिस बानो के घर में घुस गई। दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपी थीं। तब बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे 5 महीने की गर्भवती थीं। दंगाइयों ने बिलकिस का गैंगरेप किया। उनकी मां और तीन और महिलाओं का भी रेप किया गया। इस दौरान हमलावरों ने बिककिस के परिवार के 17 सदस्यों में से 7 लोगों की हत्या कर दी। वहीं, 6 लोग लापता पाए गए, जो कभी नहीं मिले। हमले में सिर्फ बिलकिस, एक शख्स और तीन साल का बच्चा ही बचे थे।
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