Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो की याचिका पर सुनवाई नहीं करेंगी जस्टिस बेला, जानिए क्यों...

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गैंगरेप के दोषियों की रिहाई में 1992 में बने नियम लागू होंगे। 
 
Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो की याचिका पर सुनवाई नहीं करेंगी जस्टिस बेला, जानिए क्यों...

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में बिलकिस बानो की याचिकाओं पर जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी की पीठ को सुनवाई करनी थी। लेकिन, जस्टिस बेला ने इस बेंच से खुद को अलग कर लिया। अब दूसरी बेंच मामले की सुनवाई करेगी। बिलकिस ने गैंगरेप के 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दो याचिका दाखिल की थीं। जिसमें उन्होंने कोर्ट के 13 मई के आदेश पर दोबारा विचार करने की गुजारिश की गई है। इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गैंगरेप के दोषियों की रिहाई में 1992 में बने नियम लागू होंगे। जिसके आधार पर 11 दोषियों को रिहा किया गया था।

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रिपोर्ट्स के मुताबिक बिलकिस बानो ने कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की थी। वहीं, दूसरी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के मई में दिए आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की गई, जिसमें कहा गया था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। इस पर बिलकिस ने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है। 

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ये है पूरा मामला -
गुजरात में गोधरा कांड के बाद 3 मार्च 2002 को दंगे भड़के थे। दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में रंधिकपुर गांव में उग्र भीड़ बिलकिस बानो के घर में घुस गई। दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपी थीं। तब बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे 5 महीने की गर्भवती थीं। दंगाइयों ने बिलकिस का गैंगरेप किया। उनकी मां और तीन और महिलाओं का भी रेप किया गया। इस दौरान हमलावरों ने बिककिस के परिवार के 17 सदस्यों में से 7 लोगों की हत्या कर दी। वहीं, 6 लोग लापता पाए गए, जो कभी नहीं मिले। हमले में सिर्फ बिलकिस, एक शख्स और तीन साल का बच्चा ही बचे थे।

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