Bilkis Bano Case: बिलकीस बानो रेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले पर किए सवाल खड़े, जानिए पूरा मामला...

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि गुजरात सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे में कई पुराने फैसलों की नजीर पेश की गई है, लेकिन इनमें फैक्ट्स साबित करने वाली बातें नहीं हैं।

 
Bilkis Bano Case: बिलकीस बानो रेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले पर किए सवाल खड़े, जानिए पूरा मामला...

नई दिल्ली। बिलकीस बानो रेप केस के आरोपियों को रिहा करने के फैसले के खिलाफ मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इशारों-इशारों में गुजरात सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रवि की बेंच ने कहा- इस मामले में गुजरात सरकार की दलीलें तो बहुत भारी-भरकम हैं, लेकिन इनमें फैक्ट्स की कमी है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि गुजरात सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे में कई पुराने फैसलों की नजीर पेश की गई है, लेकिन इनमें फैक्ट्स साबित करने वाली बातें नहीं हैं।

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मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने गुजरात सरकार के वकील से कहा, मैं नहीं चाहता कि आप इस एफिडेविट के बदले एक और एफिडेविट पेश करें और उसमें भी पुराने फैसलों की मिसाल दें। आपको तो फैक्ट्स स्टेटमेंट देना चाहिए। ये कहां है और आपके दिमाग में क्या चल रहा है। बेंच ने गुजरात सरकार का जवाब सभी पक्षों को मुहैया कराने का भी आदेश दिया। तो वही सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका दायर करने वाले पक्ष को 29 नवंबर तक जवाब पेश करने को कहा है। पिटीशनर से कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार ने जो एफिडेविट दिया है, और उस पर अगर आपको कोई आपत्ति है तो अपना जवाब 29 नवंबर तक पेश करें। आरोपियों पर गुजरात दंगों के दौरान एक ही परिवार के सात लोगों की हत्या का भी आरोप है।

विक्टिम्स की तरफ से CPI(M) की सीनियर लीडर सुहासिनी अली और दो अन्य महिलाओं ने याचिका दायर की है। कपिल सिब्बल विक्टिम्स की तरफ से पैरवी कर रहे हैं। जस्टिस रस्तोगी ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि गुजरात सरकार का जवाब सुप्रीम कोर्ट में पेश होने से पहले मीडिया तक कैसे पहुंच गया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी माना कि गुजरात सरकार के जवाब में जिन पुराने मामलों का जिक्र किया गया है, उससे बचना चाहिए था। उन्होंने कहा- हमने कोर्ट की आसानी के लिए ऐसा किया, लेकिन इससे बचना चाहिए था।

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आपको बता दे, दाहोद जिले के रणधीकपुर गांव में 3 मार्च 2002 को बिलकिस बानो के परिवार पर हमला हुआ था। दंगों की वजह से वे अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपी थीं। तब बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे 5 महीने की गर्भवती थीं। दंगाइयों ने बिलकिस का गैंगरेप किया। उनकी मां और तीन और महिलाओं का भी रेप किया गया। परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी। इस हमले में 17 में से 14 लोग मारे गए। इनमें 6 का पता नहीं चला। हमले में सिर्फ बिलकिस, एक शख्स और तीन साल का बच्चा ही बचे थे। तो वही दोषियों को रिहा करने पर गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। गुजरात सरकार ने कहा है कि गृह मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद ही दोषियों को रिहा किया गया है। रिमिशन पॉलिसी के तहत सभी दोषियों को जेल से छोड़ा गया है। इस मामले में PIL दाखिल होना कानून का दुरुपयोग है। किसी बाहरी व्यक्ति को आपराधिक मामले में दखल देने का अधिकार कानून नहीं देता है, इसलिए याचिका खारिज की जाए।

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