Ankita Murder Case: अंकिता भंडारी के परिजनों को 25 लाख मुआवजा पर कुमार विश्वास बोले...पर क्यों? 

 
kumar vishwas on ankita muder case

अंकिता भंडारी के परिजनों को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को 25 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। उत्तराखंड सरकरार द्वारा मुआवजे का ऐलान होने के बाद डॉ. कुमार विश्वास ने मुआवजे पर सवाल उठाया है।

देहरादून। अंकिता भंडारी के परिजनों को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को 25 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। उत्तराखंड सरकार द्वारा मुआवजे का ऐलान होने के बाद डॉ. कुमार विश्वास ने मुआवजे पर सवाल उठाया है। ट्वीटर एकाउंट में अपने बातें शेयर करते हुए विश्वास ने सरकार से एक सवाल पूछा है--‘पर क्यूँ ?’

विश्वास लिखते हैं कि सत्ता के अहंकार में डूबे उस हत्यारोपी के कुकर्मों की सजा उसी की संपत्ति से दी जानी चाहिए। कहा कि इस घिनौने कृत्य के लिए मुआवजा टैक्स-पेयर के पैसे से क्यूँ दिया जाएगा? विश्वास का कहना है कि हत्यारोपी के रिजॉर्ट और सम्पत्तियों की नीलामी करके बिटिया के परिजनों को सारा रुपया दे देना चाहिए।

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कहा कि यह तो सरासर गलत है कि पॉलिटिकल परिवार के संरक्षण में पले बेलगाम लड़के घिनौना काम करें और उसका खामियाजा जनता  को भुगतना पड़े। सरकार को इस मामले में सख्त से सख्त कदम उठाना चाहिए, ताकि बिटिया को इंसाफ मिल सके। 

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दूसरी ओर, अंकिता हत्याकांड को लेकर सोशल मीडिया में आपत्तिजनक टिप्पणी पोस्ट करने पर पुलिस ने आरएसएस (RSS)
नेता  विपिन कर्णवाल के खिलाफ रायवाला थाने में मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने समाज में वैमनस्यता एवं तनाव फैलाने के साथ महिला का अपमान करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।

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मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने विपिन के घर में दबिश भी दी। लेकिन वह पुलिस को घर पर नहीं मिले। बुधवार को करीब चार घंटे तक चले हंगामे के बाद आखिर रायवाला पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया गया। समाजसेवी विजयपाल रावत की तहरीर पर पुलिस ने धारा 153ए जाति,धर्म एवं क्षेत्रीयता के आधार पर विभिन्न समूहो के बीच घृणा एवं वैमनस्यता फैलाने,505 सामाजिक विद्धेश,509 महिला का अपमान करने सहित धारा 66 में मुकदमा दर्ज किया है।

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सीओ ऋषिकेश डीसी ढौडियाल ने बताया कि विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्जकर आरोपी की पुलिस ने तलाश शुरू कर दी है। पुलिस उनके घर एवं दूसरे ठिकानों पर दबिश देकर उन्हें गिरफ्तार करेगी। मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष भट्ट बताते है कि 153 ए गैर जमानतीय धारा है। जिसमें तीन साल की सजा एवं जुर्माना हो सकता है। वह बताते है कि पुलिस ने जाति,धर्म,भाषा एवं क्षेत्रीयता के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच घृणा एवं वैमनस्यता फैलाना में केस दर्ज किया है। जिसमें कम से कम तीन साल की सजा हो सकती है, जो गैर जमानतीय है।

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