Mulayam Singh Yadav की अस्थियां गंगा में प्रवाहित कर अखिलेश-डिंपल ने लगाई डुबकी, देखें Photos

नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के संस्थापक एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की अस्थियां सोमवार को चंडीघाट स्थित नमामि गंगे घाट (नीलधारा) में विधि-विधान के साथ विसर्जित की गईं। कर्मकांड के बाद बेटे अखिलेश यादव ने अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया। विसर्जन के दौरान अखिलेश और परिजनों की आंखें छलक उठीं।

मुलायम सिंह यादव ने 10 अक्तूबर को गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली थी। सोमवार को उनकी अस्थियां हरिद्वार लाई गईं। मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव, प्रतीक यादव, बहू डिंपल यादव, अखिलेश की बेटी टीना यादव, अदिति यादव, बेटा अर्जुन यादव और मुलायम के भाई शिवपाल यादव, रामगोपाल यादव, धर्मेंद्र यादव, तेजस प्रताप यादव, अंशुल यादव, अक्षय यादव आदि परिवार के लोग अस्थि कलश लेकर दोपहर में 1: 35 बजे नमामि गंगे घाट पर पहुंचे।
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तीर्थ पुरोहित शैलेश मोहन, नितिन शर्मा माणा ने कर्मकांड संपन्न कराया। इसके बाद अखिलेश यादव ने अस्थियां गंगा में प्रवाहित कीं। अस्थि विसर्जन के बाद परिवार के सभी लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई और मुलायम सिंह यादव की आत्मा की शांति के लिए कामना की। इसके बाद सभी लोग इटावा के लिए रवाना हो गए।
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उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश के तमाम विधायक, पूर्व विधायक, सांसद और पदाधिकारी, कार्यकर्ता नमामि गंगे घाट पर सुबह करीब साढ़े नौ बजे ही पहुंच गए थे। अस्थि कलश पहुंचने और विसर्जन के दौरान गंगा घाट पर धरती पुत्र अमर रहे, नेताजी अमर रहे और जिंदाबाद के नारे लगे।
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अस्थि विसर्जन के बाद घाट से जैसे ही अखिलेश यादव ऊपर पहुंचे तो उन तक पहुंचने के लिए लोग सुरक्षाकर्मियों के बीच ही घुस गए। अधिकांश लोग सेल्फी लेने के लिए करीब पहुंचने लगे। इस पर सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें पीछे हटाया। इस बीच काफी धक्का-मुक्की हुई।
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भाजपा विधायक मदन कौशिक, पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, दीपांशु विद्यार्थी, चिराग अरोड़ा आदि लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे। नगर विधायक मदन कौशिक अखिलेश के साथ-साथ अस्थि कलश लेकर नीचे घाट पर पहुंचे। कर्मकांड संपन्न होने के बाद अस्थि विसर्जन तक साथ ही रहे।
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यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल यादव ने कहा कि नेताजी उनके लिए पिता समान थे। नेताजी की अंतिम इच्छा थी कि उनका पूरा परिवार साथ रहे। उनकी इच्छा पूरा करने के लिए परिवार के सभी लोग साथ हैं। शिवपाल यादव सोमवार को मुलायम सिंह की अस्थि विसर्जन के लिए अखिलेश यादव और परिवार के साथ हरिद्वार आए थे। उन्होंने कहा कि नेता जी इच्छा थी कि उनकी अस्थियां हरिद्वार मां गंगा में विसर्जित की जाएं। आज उनकी इच्छा पूरी हो गई।
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शिवपाल यादव ने कहा कि नेताजी की जितनी सेवा कर सकते थे की। नेताजी ने अपने जीवन में लंबे समय तक जनता की सेवा की। हमेशा पिछड़े और अल्पसंख्यकों की आवाज उठाई। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लोगों की बात को सुना। कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। किसी को निराश नहीं किया। लोगों के नेताजी अब हमारे बीच नहीं है।
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अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय वरिष्ठ महामंत्री श्रीकांत वशिष्ठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर एक हजार क्यूसेक गंगाजल छोड़ने का करार ब्रिटिश समय से चला आ रहा है। कुछ समय पूर्व गंगाजल रोका गया तो महासभा की मांग पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल से उसे सुचारु कराया गया। उन्होंने कहा कि उतर प्रदेश सिंचाई विभाग की हठधर्मिता से मुलायम सिंह की अस्थियों का विसर्जन चंडी घाट के नमामि गंगे घाट पर करना पड़ा। यह धार्मिक परंपरा और नेता के अस्तित्व का अपमान है। उन्होंने कहा कि हरकी पैड़ी पर जल नहीं होने से यात्रियों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं।
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समाजवादी पार्टी पूरे प्रदेश में 21 अक्तूबर को श्रद्धांजलि सभा आयोजित करेगी। इसमें सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि दी जाएगी और उनके सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया जाएगा। इस संबंध में सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने निर्देश जारी किया है। सपा प्रदेश अध्यक्ष ने सभी निवर्तमान जिलाध्यक्षों, महानगर अध्यक्षों, विधायकों, पूर्व विधायकों एवं अन्य नेताओं को भेजे गए पत्र में कहा है कि पार्टी संरक्षक के निधन से हर कार्यकर्ता दुखी है। 21 अक्तूबर को हर जिले में कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाए। पार्टी नेताओं का मानना है कि सपा संरक्षक के अंतिम संस्कार में तमाम कार्यकर्ता नहीं पहुंच पाए हैं। जिला स्तर पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किए जाने से सभी को एक साथ श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिलेगा।
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दो महान नेताओं जय प्रकाश नारायण और डॉ. राम मनोहर लोहिया की पुण्य तिथियों के बीच जननायक मुलायम सिंह यादव भी याद किए जाएंगे। तीनों की पुण्यतिथियां एक-एक दिन के अंतराल में होंगी। आठ को जय नारायण, 12 को लोहिया और 10 अक्तूबर को मुलायम सिंह का देहावसान हुआ। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह पर समाजवादी चिंतक डॉ. लोहिया के विचारों का गहरा असर था। महज 14 साल की उम्र में लोहिया के समाजवादी विचारों से प्रभावित होकर वह पहली बार जेल गए थे। कॉलेज के दिनों में भी उन पर डॉ. लोहिया के राजनीतिक दर्शन का काफी असर रहा। छात्र संघ के अध्यक्ष बने और इसी दौर में उन्होंने डॉ. लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (एसएसपी) का दामन थामा। जयप्रकाश नारायण (जेपी) के विचारों का भी मुलायम पर काफी असर हुआ। इन्हें भी मुलायम अपना आदर्श मानते थे। इसे संयोग ही कहेंगे कि लोहिया जी की पुण्यतिथि 12 अक्तूबर को होती है। लोकनायक जय प्रकाश नारायण की पुण्यतिथि आठ अक्तूबर है। मुलायम सिंह यादव 10 अक्तूबर को इन दोनों महान राजनेताओं के मध्य हमेशा याद किए जाएंगे।
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नेताजी के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हो गई है। चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक छह माह बाद अप्रैल तक इस सीट पर उपचुनाव होगा। सपा की टिकट पर सैफई परिवार से इस सीट के लिए दावेदार तय करना अखिलेश के लिए मुश्किल भरा फैसला होगा। नेताजी के बाद अखिलेश के सामने न सिर्फ पार्टी बल्कि परिवार को साधने की भी चुनौती होगी। मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी सीट पर 1996, 2004, 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में जीत हासिल की थी। सपा की मजबूत पकड़ को देखते हुए अखिलेश ने भी 2022 के विधानसभा चुनाव में इसी लोकसभा की करहल विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की थी। राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस सीट पर शिवपाल यादव, धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव की दावेदारी होगी। हालांकि इन तीनों में धर्मेंद्र या तेज प्रताप की मजबूत दावेदारी मानी जा रही है। दावेदारी तय करने में रामगोपाल यादव की अहम भूमिका मानी जा रही है।
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