उज्बेकिस्तान में नेशनल मेडिकल कमिशन द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों पर होगा प्रवेश

 
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उज्बेकिस्तान ने यूक्रेन से विस्थापित भारतीय मेडिकल छात्रों का किया स्वागत - छात्रों के लिए अच्छी खबर

 

जयपुर। भारत में उज्बेकिस्तान के राजदूत द्वारा हाल ही में घोषणा की गई कि उनका देश यूक्रेन में मेडिकल यूनिवर्सिटीज से विस्थापित भारतीय स्टूडेंट्स को सीटें प्रदान करने जा रहा है। उन्होंने आगे उल्लेख किया कि 2,000 सीटों तक का प्रावधान होगा, इन सीटों पर प्रवेश नेशनल मेडिकल कमिशन, भारत सरकार द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के आधार पर होगा।

भारत-उज्बेक सहयोग में यह कदम समरकंद, उज्बेकिस्तान में आयोजित एससीओ समिट और माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा की पृष्ठभूमि में दोनों देशों के मध्य संबंधों को और मजबूत बनायेगा। उज्बेकिस्तान सरकार की यह घोषणा पीएम मोदी की सरकार की प्रगतिशील विदेश नीति का प्रत्यक्ष परिणाम है।

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बुखारा स्टेट मेडिकल इंस्टीट्यूट (बीएसएमआई) के प्रतिनिधिमंडल की डॉ. एंजेला कुर्बाेनोवा ने बताया कि, ‘‘यूक्रेन से विस्थापित हुए मेडिकल स्टूडेंट्स का बीएसएमआई में स्वागत करते हुए हमें खुशी हो रही है, बशर्ते ये छात्र  उज्बेकिस्तान स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक योग्यताएं पूरी करते हों। उन्हें हमारे पार्टनर पीपलहाइव एलएलसी के माध्यम से ही आवेदन करना होगा।‘‘ पीपलहाइव एलएलसी इंडिया ऑफिस के मेडिकल रिक्रूटमेंट के निदेशक, एडवोकेट प्रमोद जोशी ने कहा कि यूक्रेन से विस्थापित भारतीय मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए स्कॉलरशिप के रूप में प्रति वर्ष अधिकतम 3500 यूएसडी की स्पेशल फी उपलब्ध है।

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डॉ. कुर्बाेनोवा ने आगे बताया कि ‘‘उज्बेकिस्तान सरकार के  मिनिस्ट्री ऑफ मेडिकल हायर एजुकेशनल इन्स्टिट्यूट (एमएचईआई) की सुव्यवस्थित प्रक्रिया के तहत सभी स्टूडेंटस को अकेडमिक इवेल्यूशन के लिए अपनी अकेडमिक ट्रान्सस्क्रिप्ट/ इलेक्ट्रॉनिक जर्नल्स को सबमिट करना होगा। हम स्टूडेंट्स के क्रेडिट ऑवर और स्टडी किए गए सब्जेक्ट ऑवर का अपने केरिकुलम के साथ मिलान करते हैं। इसके आधार पर हम आवेदक को प्रवेश के वर्ष और सेमेस्टर की पेशकश करेंगे। कृपया उस एजेंट पर विश्वास ना करें जो स्टूडेंटस को उसी वर्ष के अध्ययन का आश्वासन दे रहे हैं जो वे यूक्रेन में पढ़ रहे थे क्योंकि हमारा केरिकुलम अलग है। हम उज्बेकिस्तान की नंबर 2 की टॉप सरकारी संस्थान हैं। हम स्टूडेंट ट्रांन्सफर के लिए सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करते हैं, यदि कोई इन दिशानिर्देशों का पालन नहीं करता है, तो उसे फाइनल डिग्री प्राप्त नहीं हो पायेगी।‘‘

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उल्लेखनीय है कि डॉ. कुर्बाेनोवा का कथन उज्बेकिस्तान के राजदूत की घोषणा को प्रतिध्वनित करता है कि नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए। एनएमसी, भारत द्वारा प्रकाशित दिशानिर्देशों के अनुसार ‘अकेडमिक मोबिलिटी प्रोग्राम‘ की परिभाषा में कहा गया है कि स्टूडेंस को फाइनल डिग्री प्राप्त करने के लिए उन्हें वापस यूक्रेन विश्वविद्यालय लौटना होगा।

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