शराब के नशे में टुन्न हुआ हाथियों का झुंड, चढ़ा ऐसा नशा ढ़ोल नगाड़ों से खुली नींद

हाथी जंगल का एक ऐसा जीव है। जिससे ना सिर्फ जंगल के जानवर बल्कि इंसान भी दूर रहने में अपनी भलाई समझते हैं। लेकिन कई बार ये इंसानों के लिए दिक्कत खड़ी कर देते हैं। ऐसा ही एक मामला इन दिनों ओडिशा से सामने आया है।
भुवनेश्वर। आपने हाथियों को तो देखा ही होगा कि ये कितने विशालकाय होते हैं।इनकी गिनती दुनिया के सबसे विशालकाय जानवरों में होती है। इनकी ताकत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि ये अपने सिर्फ पैरों से जंगल के राजा को मौत की घाट उतार सकता है। इसलिए जंगल के ज्यादातर जानवर इससे बचकर रहने में अपनी भलाई समझते हैं। ये जीव कई दफा रिहाशी इलाकों में घुसकर उत्पात मचाना शुरू कर देता है। ऐसा ही कुछ इन दिनों सामने आया है। जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
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मामला ओडिशा के क्योंझर जिले का है। जहां एक ही ग्रुप के 24 हाथी देसी शराब ‘महुआ’ पीकर गहरी नींद में सो गए। इसके बाद ग्रामीणों ने हाथियों को उठाने के लिएन जमकर मेहनत ।। लेकिन सफलता उनके हाथ नहीं लगी। इसके ग्रामीणों ने जमकर मेहनत की। लोगों ने हाथियों को गहरी नींद से उठाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन गजराज नहीं उठे। इसके बाद गांव के लोगों ने हाथियों की नींद तोड़ने के लिए ढ़ोल नगाड़े बजाए तब कही जाकर वह नींद से जागे।
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गजराज को उठाने के लिए बजाए गए ढ़ोल-नगाड़े
इस पूरे घटनाक्रम पर वहां मौजूद ग्रामीणों कहना है कि हम सभी जंगल में सुबह-सुबह महुआ लेने गए तो हमने देखा कि सभी बर्तन टूट गए थे और पानी गायब था।’ इसे देखकर ऐसा लग रहा है कि महुआ शराब को हाथी पानी समझकर पी गए होंगे। यही वजह है कि हाथी इसका सेवन करके सो टुल होकर सो गए थे। हमने उन्हें जगाने की कोशिश भी की लेकिन हम इसमें नाकामयाब रहे। इसके बाद हम सभी ने इसके बारे में वन-विभाग को सूचित किया। जिसके बाद उन्हें अधिकारियों द्वारा उठाया गया है और फिर वह जंगल के भीतर चले गए। गावं वालों का कहना है कि महुआ की शराब पूरी तरह से तैयार नहीं हुई थी, इसके बावजूद सभी हाथियों पर नशे का असर था।
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गौरतलब है कि वन अधिकारियों ने कहा कि हाथियों का सोना आम बात है। फारेस्ट रेंजर घासीराम पात्रा ने बताया कि इसकी संभावना है कि हाथी वहां आराम कर रहे थे, लेकिन फिर भी गांव वालों का कहना है कि कच्ची शराब को पीने के बाद ही हाथियों की ऐसी हालत हुई। आपको बता दें कि इस तरह की शराब उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में बनाया जाता है। इसके लिए फूल और फल का प्रयोग कई चीजों को बनाने में होता है और इसी से ही देसी शराब भी बनाई जाती है।
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