शहादत के 26 साल बाद मूंडिया निवासी विश्राम गुर्जर को मिला शहीद का दर्जा, बीएसएफ दल ने घर आकर परिजनों को सौंपा ऑपरेशनल कैज्यूल्टी प्रमाण पत्र

कुलदीप गुर्जर ने बताया कि मूंडिया निवासी विश्राम गुर्जर 16 जनवरी 1976 को बीएसएफ मे आरक्षक के पद पर भर्ती हुए और जोधपुर में नियुक्ती ली थी। 
 
शहादत के 26 साल बाद मूंडिया निवासी विश्राम गुर्जर को मिला शहीद का दर्जा, बीएसएफ दल ने घर आकर परिजनों को सौंपा ऑपरेशनल कैज्यूल्टी प्रमाण पत्र

मूंडिया। उपखंड टोडाभीम की ग्राम पंचायत मूंडिया निवासी देवीराम गुर्जर के पुत्र विश्राम गुर्जर को 26 साल बाद शहीद का दर्जा मिला है। विश्राम गुर्जर वर्ष 1998 में जम्मू कश्मीर के पूंछ राजौरी में आतंकवादियों से मुठभेड़ करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।

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सोमवार को बीएसएफ के अधिकारी शहीद के घर पहुंचे और शहीद की पत्नी बन्तो देवी को ऑपरेशनल कैज्यूल्टी प्रमाण पत्र प्रदान किया।

जिले के सभी शहीदों की जानकारी रखने वाले मूंडिया निवासी RTI कार्यकर्ता कुलदीप गुर्जर ने बताया कि मूंडिया निवासी विश्राम गुर्जर 16 जनवरी 1976 को बीएसएफ मे आरक्षक के पद पर भर्ती हुए और जोधपुर में नियुक्ती ली थी। हवलदार विश्राम गुर्जर ने अपनी 22 वर्ष के सेवाकाल मे राजस्थान के बाड़मेर, जम्मू कश्मीर, गुजरात, आसाम, जम्मू कश्मीर के कई आतंकी प्रभावित, नक्सल प्रभावित इलाके व देश की सीमाओं पर तैनात रहे। वर्ष 1998 में विश्राम गुर्जर जम्मू-कश्मीर के पूंछ राजौरी में सीमा सुरक्षा बल की 58 वाहिनी की SP कंपनी मे तैनात किए गए। 20 जनवरी 1998 को खन्तरनाला इलाके मे उप कमांडेंट चमन राणा की कमान मे एक सेक्शन के साथ सर्चिंग ऑपरेशन मे निकल गये थे। सारा देश जहां गणतंत्र दिवस की खुशियां मनाने की तैयारी कर रहा था, वहीं भारत माँ के ये सपूत अँधेरे से ढ़की बर्फ से आच्छादित पहाड़ियों पर बैठे देश सेवा का धर्म निभा रहे थे। 

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रात्रि के लगभग 10 बजे जहाँ सारा देश चैन की नींद सोने की तैयारी कर रहा था वही ये जाबांज टोली को सूचना मिली कि कुछ आतंकी सीमा में घुसपैठ कर रहे हैं। बल के ये जाँबाज जान की परवाह किए बिना "ऑपरेशन रक्षक" के तहत आतंकियों का सर्वनाश करने के लिए नजदीक पहुंच गए। दोनो ओर से भीषण मुठभेड़ शुरू हुई। लगभग 3 घंटे तक चली आमने-सामने की मुठभेड़ में तीनो आतंकीयो को मार गिराया। इस भीषण मुठभेड़ के दौरान हवलदार विश्राम गुर्जर ने अपनी जान की परवाह किए बिना अनुकरणीय और अदम्य साहस का परिचय दिया तथा आंतकियो के साथ मुठभेड़ में गोली लगने से शहीद हवलदार विश्राम सिंह गुर्जर अपने एक अधिकारी और दो साथी जवानों के साथ देश की आन, बान, शान के लिए घटना स्थल पर ही वीरगति को प्राप्त हुए और राष्ट के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।

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शहीद की पत्नी ने अपने दोनों बेटे को भेजा देश की सुरक्षा में 
शहीद विश्राम गुर्जर की पत्नी वीरांगना बन्तो देवी ने अपने दर्द और आंसुओ समेट कर देश की आन बान और शान के लिए अपने दोनों बेटे हिम्मत सिंह गुर्जर व अजय सिंह गुर्जर को सीमा सुरक्षा बल मे देश की सुरक्षा के लिए भेजकर देशभक्ति की मिशाल पेश की। 

बीएसएफ ने 2016 में गांव के स्कूल में लगाया था स्मृति चिन्ह 
शहीद विश्राम गुर्जर की वीरतापूर्ण कार्य, उत्कृष्ट बहादुरी और निस्वार्थ भाव से किये हुए बलिदान के लिए 01 दिसम्बर 2016 को सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों के द्वारा गाँव के विद्यालय मे शहीद विश्राम सिंह गुर्जर की स्मृति चिन्ह लगाया गया था।

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बीएसएफ के डिप्टी कमांडेंट पीएस मीणा ने बताया कि इस प्रमाण पत्र के आधार पर शहीद के परिजनों को विशेष सुविधाएं  केन्द्र और राज्य सरकारों की तरफ से दी जाती है। इस मौके पर डिप्टी कमांडेंट पीएस मीणा, वीरांगना बंतो देवी, सरपंच दीपक करेला, थानाधिकारी अभिजीत मीना, जनक गुर्जर मौजूद रहे।

शहीद हवलदार विश्राम सिंह गुर्जर जी के बलिदान को देश युगों-युगों तक याद रखेगा। भारतवर्ष की एकता और अखंडता पर प्राण न्यौछावर करने वाले भारत माँ के वीर सपूत को अभिनव मित्र समूह मूंडिया की ओर से शत्-शत् नमन, वंदन

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