SAT का पुनीत गोयनका और सुभाष चंद्रा को झटका, इनकार किया SEBI के आदेश पर रोक लगाने से 

 
Subhash Chandra and Punit Goenka

SAT ने मार्केट रेगुलेटर ने SEBI के अंतरिम आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, यानी SAT ने SEBI के अंतरिम आदेश को बरकरार रखा है।

नई दिल्ली। जी एंटरटेनमेंट के सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका को सिक्योरिटीज एपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) से तगड़ा झटका लगा है। SAT ने मार्केट रेगुलेटर ने SEBI के अंतरिम आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, यानी SAT ने SEBI के अंतरिम आदेश को बरकरार रखा है।

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SEBI के आदेश पर रोक की वजह नहीं: SAT
सिक्योरिटीज एपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) ने सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका को आदेश दिया है कि वो मार्केट रेगुलेटर के सामने अपना जवाब दो हफ्ते भीतर जमा करें, साथ ही SEBI को भी ये निर्देश दिया है कि हफ्ते भर के अंदर सुनवाई की तारीख तय करें।

SAT ने अपने आदेश में कहा कि मार्केट रेगुलेटर SEBI के आदेश को रद्द करने की कोई वजह नहीं दिखती है। SAT के फैसले के बाद जी एंटरटेनमेंट के शेयरों में गिरावट देखी जा रही है। दोपहर बजे तक 2.5% की कमजोरी के साथ 201 रुपये पर कारोबार करता हुआ दिख रहा था।

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क्या था SEBI का अंतरिम आदेश
12 जून को SEBI ने एक अंतरिम आदेश के जरिए एस्सेल समूह के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और ZEEL के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO पुनीत गोयनका को लिस्टेड कंपनियों में कोई भी डायरेक्टर या प्रमुख प्रबंधकीय पद संभालने से रोक दिया था। SEBI का ये आदेश कथित फंड डायवर्जन के आरोपों के बाद आया था।

SEBI ने अपने आदेश में आरोप लगाया कि 'दोनों व्यक्तियों ने अपने निजी फायदे के लिए पैसों को डायवर्ट करने के लिए एक लिस्टेड कंपनी के भीतर डायरेक्टर्स या प्रमुख प्रबंधकीय व्यक्तियों के रूप में अपनी भूमिकाओं का इस्तेमाल किया था। SEBI ने अपने जवाब में कहा है कि जिन व्यक्तियों पर सवाल उठाया गया है, उन्होंने नियमों का उल्लंघन किया है, झूठे खुलासे जारी किए हैं और इन गलत कामों को छिपाने के लिए भ्रामक बयान दिए हैं।

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इसके बाद SAT को दिए गए अपने जवाब में मार्केट रेगुलेटर ने कहा था कि 'इस खास मामले में, हमें एक ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जहां एक प्रमुख लिस्टेड कंपनी के चेयरमैन एमेरिटस और मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO कई स्कीम्स और लेनदेन में शामिल हैं, जिसके कारण पब्लिक फंड्स की महत्वपूर्ण राशि का डायवर्जन लिस्टेड कंपनियों निजी संस्थाओं को हुआ है जो इन व्यक्तियों द्वारा नियंत्रित और स्वामित्व वाली हैं।'

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