Explainer : अमेरिका में बैंकिंग संकट नहीं हुआ खत्म, यह तो सिर्फ शुरुआत, जानिए SVB और सिग्नेचर बैंक क्यों डूबे

 
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Banking Crisis : सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक का डूबना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। यूएस फेड के रेट हाइक कैंपेन ने इन हेल्दी बैंक्स को एक झटके में डुबो दिया। ब्याज दर जोखिम से इस समय पूरा यूएस बैंकिंग सिस्टम जूझ रहा है। तो क्या और भी बैंकों की यह स्थिति हो सकती है।

 

नई दिल्ली। अमेरिका के सिलिकॉन वैली और सिग्नेचर बैंक इस स्पीड से डूबे हैं कि यह किताबों में पढ़ाने का विषय बन गया है। एसवीबी (SVB) सिर्फ 48 घंटे में डूब गया और सिग्नेचर बैंक (Signature Bank) ने तो लोगों को कोई मौका ही नहीं दिया। लोगों के अरबों रुपये इन बैंकों में फंसे हुए हैं। अमेरिका की बैंकिंग हिस्ट्री में अचानक बंद होने वाले तीन बड़े बैंकों में ये दोनों शामिल हैं। पहला वाशिंगटन म्यूचुअल (Washington Mutual) था, जो साल 2008 में डूबा था। अब यहां एक बड़ा सवाल है। जब बैंकिंग इंडस्ट्री रिकॉर्ड लेवल के अतिरिक्त भंडार पर बैठी हुई है, तो ये बैंक कैसे डूबे? बता दें कि बैंकिंग इंडस्ट्री के पास नियामकीय जरूरतों से अधिक नकदी मौजूद है।

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बैंकों के सामने हैं ये दो बड़े रिस्क
कमर्शियल बैकों के सामने सबसे कॉमन रिस्क लोन डिफॉल्ट के मामलों में उछाल होता है। इसे क्रेडिट रिस्क भी कहते हैं। लेकिन यहां ऐसा नहीं है। बैंकिंग मामलों की एक्सपर्टीज रखने वाले अर्थशास्त्रियों के अनुसार यह दो बड़े जोखिमों के कारण है- ब्याज दर जोखिम और लिक्विडिटी रिस्क।

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ब्याज दर जोखिम
एक बैंक में ब्याज दर जोखिम तब आता है, जब बहुत छोटी अवधि में ब्याज दरों (Interest Rates) में भारी इजाफा हो जाता है। अमेरिका में मार्च 2022 से ठीक ऐसा ही हो रहा है। फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) आक्रामक होकर ब्याज दरें बढ़ा रहा है। यह अब तक प्रमुख ब्याज दर में 4.5 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है। महंगाई के 40 साल के उच्च स्तर पर चले जाने के चलते अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में यह इजाफा किया। इसके डेट पर यील्ड अचानक जबरदस्त बढ़ गई।

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17 साल के हाई पर पहुंची यील्ड
एक साल के यूएस गवर्नमेंट ट्रेजरी नोट्स पर यील्ड मार्च 2023 में 17 साल के उच्च स्तर 5.25 फीसदी पर पहुंच गया। वहीं, 30 साल के ट्रेजरी पर यील्ड करीब 2 फीसदी बढ़ गया। जैसे-जैसे सिक्योरिटीज पर यील्ड बढ़ा, इसकी कीमतें गिरती गईं। यह यील्ड काफी कम अवधि में तेजी से बढ़ा। इससे पहले से इश्यू किये डेट की मार्केट वैल्यू, चाहे वह कॉरपोरेट बॉन्ड्स हों या गवर्नमेंट ट्रेजरी बिल्स, तेजी से गिरीं। विशेष रूप से लंबी अवधि के डेट को बहुत अधिक नुकसान हुआ।

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रेट 2% बढ़ने से 32% गिर जाती है मार्केट वैल्यू
उदाहरण के लिए, एक 30 साल के बॉन्ड की यील्ड में 2 फीसदी की बढ़ोतरी से इसकी मार्केट वैल्यू करीब 32 फीसदी गिर सकती है। सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) को इसी से नुकसान हुआ। इस बैंक ने अपने एसेट्स का एक बड़ा हिस्सा- 55 फीसदी यूएस गवर्नमेंट बॉन्ड जैसी फिक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज में निवेश किया हुआ था।

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मैच्योरिटी से पहले बेचो तो बड़ा नुकसान
बेशक, ब्याज दर जोखिम से सिक्योरिटीज की मार्केट वैल्यू में गिरावट कोई बड़ी समस्या नहीं है। क्योंकि निवेशक इसे मैच्योरिटी तक होल्ड करके रख सकता है, उस समय उसे बिना किसी नुकसान के ओरिजिनल फेस वैल्यू मिल जाएगी। अनरियलाइज्ड लॉस बैंक की बैलेंस शीट में छुपा रहता है और समय के साथ गायब हो जाता है। लेकिन अगर निवेशक मैच्योरिटी से पहले सिक्योरिटी को ऐसे समय में बेचता है, जब मार्केट वैल्यू फैस वैल्यू से कम हो, तो अनरियलाइज्ड लॉस एक्चुअल लॉस बन जाता है। ठीक ऐसा ही एसवीबी ने इस साल की शुरुआत में किया, क्योंकि उसके ग्राहकों ने अपनी नकदी की कमी को पूरा करने के लिए बैंक में जमा राशि को निकालना शुरू कर दिया था। ग्राहकों ने अधिक ब्याज दर मिलने की उम्मीदों के बावजूद ऐसा किया। इससे लिक्विडिटी रिस्क पैदा हुआ।

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लिक्विडिटी रिस्क
लिक्विडिटी रिस्क एक ऐसा रिस्क है, जिसमें बैंक बिना कोई नुकसान उठाए बिना अपने दायित्वों को पूरा करने में सक्षम नहीं हो पाता है। अर्थात बैंक को नुकसान उठाकर अपने ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करना होता है। आइए एक उदाहरण से समझते हैं। आप अपनी सारी जमा पूंजी और बैंक से कर्ज लेकर एक घर खरीदते हैं। लेकिन अचानक आपके सामने एक इमरजेंसी आ जाती है। अब आपको इस इमरजेंसी में इतनी ही रकम की जरूरत है। आपका सारा पैसा घर में फंसा हुआ है और इसे आसानी से बेचा नहीं जा सकता।

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एसवीबी के पास नहीं था ग्राहकों को देने को कैश
एसबीवी अपने नकद भंडार का उपयोग करके जितना भुगतान कर सकता था, उस सीमा के पार जाकर ग्राहक अपनी जमा राशि निकाल रहे थे। इसलिए अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए बैंक ने 1.8 अरब डॉलर का नुकसान उठाकर अपने सिक्योरिटीज पोर्टफोलिया से 21 अरब डॉलर बेचने का फैसला लिया। इक्विटी कैपिटल में गिरावट के चलते बैंक ने 2 अरब डॉलर की नई पूंजी जुटानी चाही।

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ग्राहकों में लगी पैसा निकालने की होड़
पहले से ही बैंक में अपना विश्वास खो रहे ग्राहकों को बैंक की इस मंशा ने एक बड़ा झटका दिया। वे बैंक से अपना पैसा निकालने के लिए दौड़ पड़े। ग्राहकों में अपना पैसा निकालने की ऐसी होड़ मची कि एक हेल्दी बैंक भी चंद दिनों में दिवालिया हो गया। इस डिजिटल युग में यह एक आश्चर्य से कम नहीं है।

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ग्राहक जानते थे डूब जाएगा पैसा
इसका एक कारण यह भी है कि एसवीबी के कई ग्राहकों के पास फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन द्वाारा बीमित $250,000 से अधिक राशि बैंक में जमा थी। इसलिए वे जानते थे कि अगर बैंक फेल हुआ, तो उनका पैसा नहीं बचेगा। एसवीबी में जमा करीब 88 फीसदी रकम बीमित नहीं थी।

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सिग्नेचर बैंक में भी ऐसा ही हुआ
सिग्नेचर बैंक में भी ठीक यही समस्या थी। एसवीबी के डूबने से सिग्नेचर के ग्राहक भी लिक्विडिटी रिस्क की चिंताओं के चलते बैंक से अपना पैसा निकालने लगे। इस बैंक में 90 फीसदी जमा बीमित नहीं थी।

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