सनावदिया (इंदौर), 19 दिसंबर 2025: गुजरात के आनंद स्थित एन.एस. पटेल आर्ट्स (ऑटोनॉमस) कॉलेज के मास्टर ऑफ सोशल वर्क (एमएसडब्ल्यू) के छात्रों के एक समूह ने जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की अनुभवात्मक यात्रा की। छात्रों ने इस सेंटर को “सस्टेनेबल डेवलपमेंट का जीवंत मॉडल” करार देते हुए कहा कि यहां व्यावहारिक ज्ञान और प्रेरणा दोनों मिलते हैं।
सेंटर की निदेशिका और पद्म श्री सम्मानित डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ने छात्रों का गर्मजोशी और विनम्रता से स्वागत किया। उन्होंने छात्रों को सेंटर का पर्यावरण-अनुकूल जैव-विविधता फार्म दिखाया, जहां सागौन, मोहगनी, पारिजात, कदंब, अरीठा, रतनज्योत, महुआ जैसे दुर्लभ पेड़ और हड्डी जोड़, ग्लोय, पुनर्नवा जैसे औषधीय पौधे एवं जड़ी-बूटियां उगाई जा रही हैं। छात्र इन दुर्लभ प्रजातियों को देखकर आश्चर्यचकित हो गए।
सोलर कुकरों पर लाइव खाना बनता देख छात्र रोमांचित हो उठे। सौर एवं पवन ऊर्जा के व्यावहारिक प्रदर्शन से उन्हें नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता और स्वास्थ्य क्षेत्र में इसके नवाचारों की जानकारी मिली। पूजा पंडित ने छात्रों को अनाज, सब्जियां, दालें और अन्य उत्पादों के नमूने दिखाए। डॉ. जनक पलटा की प्रदूषण-मुक्त, कचरा-मुक्त एवं सस्टेनेबल फूड आधारित जीवनशैली देखकर छात्र अभिभूत हो गए।
छात्रों ने कहा कि डॉ. पलटा की कड़ी मेहनत, समर्पण और इच्छाशक्ति उन्हें भावनात्मक रूप से छू गई। जीवन की अनेक चुनौतियों का सामना करने के बावजूद समाज सेवा में लगीं डॉ. पलटा युवाओं के लिए बड़ा प्रेरणास्रोत हैं। इस यात्रा से छात्रों को न केवल स्थायी जीवनशैली का व्यावहारिक ज्ञान मिला, बल्कि पर्यावरण-अनुकूल आदतें अपनाने की प्रेरणा भी।
सेंटर के शून्य अपशिष्ट, सौर ऊर्जा और समुदाय-संचालित पहलों ने सभी पर गहरा प्रभाव डाला। छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया, सोलर कुकिंग तकनीक सीखी और अपने विचार साझा किए।
कुछ छात्रों की प्रतिक्रियाएं:
• आशा हिरपारा: इस विजिट ने सोशल वर्क में सस्टेनेबिलिटी को शामिल करने के उनके विश्वास को मजबूत किया।
• भूमि कोराडिया: सोलर कुकिंग देखकर समझ आया कि छोटे बदलाव पर्यावरण बचाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
• देवांशु पाठक: डॉ. पलटा की जीवन यात्रा ने सस्टेनेबल कम्युनिटी डेवलपमेंट की जिम्मेदारी जगाई।
• जनक कुमार भडक: सेंटर के शांत माहौल ने नैतिक जीवन और अनुशासन सिखाया।
यह यात्रा छात्रों के लिए होलिस्टिक लर्निंग का अनुभव साबित हुई, जिसमें भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक आयाम शामिल थे। छात्रों ने प्रकृति से गहरा जुड़ाव महसूस किया और सस्टेनेबल तरीकों को व्यक्तिगत एवं पेशेवर जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।






