अंबिकापुर. मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एमसीएच में शनिवार को उस समय हडक़ंप मच गया, जब महिला को पता चला कि उसके पेट में बच्चा हलचल नहीं (Child birth in toilet) कर रहा है। उसने इसकी जानकारी नर्सों को दी। नर्सों ने जब जांच की तो पता चला की पेट में बच्चा नहीं है और प्रसव हो गया है। पूछने पर उसने बताया कि कुछ समय पूर्व शौच के लिए गई थी, वहां जाकर देखा गया तो शौचालय के कमोड में नवजात के फंसे होने के संकेत मिले। इसके बाद सफाई कर्मचारियों द्वारा तत्काल कमोड को तोड़ा गया और नवजात को सुरक्षित बाहर निकाला गया। नवजात को विशेष निगरानी में एसएनसीयू में रखा गया है।
सूरजपुर जिले के प्रतापपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत निवासी रामपति बाई पति सूरज 30 वर्ष 7 माह की गर्भवती थी। 13 नवंबर को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन ने उसे इलाज के लिए प्रतापपुर अस्पताल में भर्ती कराया। उसकी गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टर ने उसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Child birth in toilet) रेफर कर दिया।
परिजन ने उसी दिन उसे एमसीएच अंबिकापुर में भर्ती कराया। यहां उसका इलाज चल रहा था। शनिवार की सुबह महिला वार्ड के ही शौचालय में शौच गई थी। शौच के बाद वह वापस बेड पर आ गई। कुछ ही देर में उसे एहसास हुआ की उसके पेट में बच्चा हलचल नहीं (Child birth in toilet) कर रहा है।
वह हड़बड़ाई और इसकी जानकारी अस्पताल के नर्सों (Child birth in toilet) को दी। नर्सों ने जब जांच की तो पता चला की उसका प्रसव हो गया है। नर्सों ने पूछा- कहां गई थी। इस पर उसने बताया कि कुछ देर पूर्व वह शौच के लिए गई थी।
परिजन व नर्सों ने शौचालय के कमोड में देखा तो नवजात (Child birth in toilet) के फंसे होने का पता चला। नर्सों ने तत्काल इसकी जानकारी सफाई व्यवस्था के सुपरवाइजर आशीष को दी। उसने सफाई कर्मियों को बुलाकर कमोड को तुड़वाया और सुरक्षित नवजात को बाहर निकाला गया। नवजात को विशेष निगरानी में एसएनसीयू में भर्ती किया गया है।
बच्चा पड़ गया था नीला
नवजात एसएनसीयू में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जेके रेलवानी के निगरानी में है। उन्होंने बताया कि बच्चे (Child birth in toilet) को जब कमोड से निकाला गया तो उसका शरीर नीला पड़ा था। हार्ट बीट कम चल रहे थे। अभी उसकी स्थिति में मामूली सुधार है। लेकिन उसे बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है।





