जयपुर। सुप्रीम कोर्ट में अरावली की परिभाषा तय करने के लिए बनी समिति ने सिफारिश की कि अरावली पहाड़ियों और श्रृंखलाओं में नई खनन लीजें पूरी तरह प्रतिबंधित की जाए। केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टि से आवश्यक उत्खनन के लिए ही नई लीज दी जाएं। पहले से जारी लीज का पर्यावरण मानकों के पालन की दृष्टि से विविध क्षेत्रों की विशेषज्ञ टीमों से निरीक्षण भी करवाया जाए। अदालत ने बुधवार को अरावली पहाड़ियों और श्रृंखलाओं की परिभाषा तय करने के मुद्दे पर निर्णय सुरक्षित रखा है। इससे राजस्थान के लगभग 20 जिलों में खनन गतिविधियों की सीमाओं और दायरे को निर्धारण होगा।
मामले में मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायाधीश विनोद चंद्रन और न्यायाधीश एन. वी. अंजारिया की पीठ ने सभी पक्षों की विस्तृत दलीलों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया। अदालत ने 9 मई 2024 को अरावली पहाड़ियों और श्रृंखलाओं की एक समान परिभाषा तैयार करने के लिए समिति गठित की थी। समिति की रिपोर्ट के आधार पर अरावली का संरक्षण और नियमन किया जाना प्रस्तावित है। मामले में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी, राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा, तथा खनन पट्टा धारक संघों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह और ए. एस. नाडकर्णी मौजूद रहे।
क्रिटिकल खनन पर मिल सकती इजाजत
अरावली में क्रिटिकल मिनरल खनन के लिए 100 मीटर से ऊंची पहाड़ी पर भी खनन की अनुमति मिल सकती है। राज्य में इन पहाड़ियों में कई क्रिटिकल मिनरल मौजूद हैं, जहां खनन के लिए खानें दी जा सकेंगी।
पैमाना उचित नहीं
विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली में अरावली पहाड़ियों एवं श्रृंखलाओं की पहचान और सीमांकन के लिए केवल ऊंचाई या ढाल के आधार पर एक समान परिभाषा तय करना वैज्ञानिक रूप से उचित नहीं होगा, क्योंकि अरावली क्षेत्र का भौगोलिक स्वरूप अत्यंत विविध है।
37 जिले प्रभावित
रिपोर्ट के अनुसार अरावली क्षेत्र में राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली राज्यों में कुल 37 जिले सम्मिलित हैं। जिनमें से 20 जिले राजस्थान के हैं। इनमें अलवर, जयपुर, सीकर, झुंझुनूं, अजमेर, भीलवाड़ा, राजसमंद, उदयपुर, पाली, सिरोही और डूंगरपुर प्रमुख हैं।
राजस्थान पर कितना असर
अरावली पहाड़ी की परिभाषा तय करने के लिए बनी समिति की सिफारिश को यदि सुप्रीम कोर्ट ने माना तो राजस्थान को बड़ी राहत मिलेगी। इस फैसले आने के बाद करीब 300 नई खानें और चालू हो जाएंगी। अरावली में आने वाले प्रदेश के 20 जिलों में 100 मीटर से ऊंची पहाड़ी पर वर्ष 2005 से प्रदेश में खान आवंटन बंद है। इससे नीचे की पहाड़ियों में खान आवंटन जारी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के 9 मई 2024 के फैसले के बाद से इन खानों को चालू नहीं किया जा रहा। यदि यह फैसला समिति की सिफारिश पर आया तो लगभग 300 नई खानें तुरंत शुरू हो सकेंगी।
राजस्थान मॉडल है व्यवहारिक
समिति के अऩुसार स्थानीय सतह से 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाले भू-भागों सहित उनके सहायक ढालों को अरावली पहाड़ी मानने का राजस्थान मॉडल व्यावहारिक और वैज्ञानिक रूप से उचित मानक है। इस मॉडल का समर्थन गुजरात और दिल्ली ने किया, जबकि हरियाणा ने इस पर आपत्ति जताई।






