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October 29, 2025 6:41 pm

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जयपुर द्रव्यवती प्रोजेक्ट: 1400 करोड़ खर्च के बावजूद सीवरेज प्रदूषण, एनजीटी आदेशों की अवहेलना जारी

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Jaipur Dravyavati Project: जयपुर शहर में 1400 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद द्रव्यवती प्रोजेक्ट शहर की शान नहीं बन सका है। अजमेर रोड, पुरानी चुंगी से गुजर रही द्रव्यवती नदी में रोजाना हजारों लीटर सीवरेज का गंदा पानी गिर रहा है। यहां जेडीए को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाना है, लेकिन अब तक योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है। स्थिति यह है कि सुबह जब सीवर के पानी का फ्लो तेज होता है तो लोगों का मुख्य सड़क से निकलना दूभर हो जाता है। पिछले तीन वर्ष से यह समस्या बरकरार है।

इसके बाद भी जेडीए के जिम्मेदार अधिकारी समस्या का समाधान नहीं तलाश पाए। इससे न सिर्फ दुर्गंध फैल रही है, बल्कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश की अवहेलना भी हो रही है। पूर्व में एनजीटी साफ कह चुका है कि बिना शोधित किए हुए सीवरेज का पानी नदी-नालों में नहीं छोड़ें।

कागजों में साफ, नदी में काला पानी

कागजों और रिपोर्ट पर गौर करें तो जेडीए अधिकारियों का दावा है कि नदी में साफ पानी जा रहा है। जो मानक निर्धारित हैं, उनके अनुरूप पानी नदी में छोड़ा जा रहा है। रविवार को मानसरोवर स्थित लैंडस्केप पार्क के नीचे नदी को देखा तो यहां काला पानी नजर आया। ऐसे में सवाल उठता है कि जब पानी साफ छोड़ा जा रहा है तो नदी में काला कैसे हो रहा है?

कार्यादेश दो वर्ष पहले दिया

जमीन का टाइटल क्लीयर कराए बिना ही जेडीए ने सुशीलपुरा पुलिया के पास एसटीपी बनाने का निर्णय कर दिया। वर्ष 2023 में कार्यादेश भी दे दिया। काश्तकारों ने विरोध किया और मामला कोर्ट में चला गया। जेडीए को कोर्ट से राहत नहीं मिली। अब तक जेडीए वैकल्पिक जगह नहीं तलाश पाया है।

जनता की जुबानी…

जनता ने इस परियोजना से उम्मीद की थी कि यह शहर को नई जीवन रेखा देगी, सौंदर्य बढ़ाएगी और जल संरक्षण का उदाहरण बनेगी। लेकिन जल्दबाजी, बिना दूरदृष्टि की योजना और निगरानी के अभाव ने इसे महज कंक्रीट की नाली बना दिया। परियोजना का ऑडिट कराया जाए। – गिरिराज खंडेलवाल

नदी की साफ सफाई और ट्रीटमेंट प्लांट का प्रोपर संचालन हो तो ये प्रोजेक्ट बेहतर बन सकता है। तभी हमारे नदी के किनारे भी साबरमती की तरह नजर आएंगे। नदी के आस-पास गार्डन, वॉक-वे, टूरिस्ट प्लेस, कैफे और रेस्टोरेंट हैं, उनको बेहतर करने की जरूरत है। – महेंद्र दुग्गड़

ये आए सुझाव

नदी के बहाव क्षेत्र के हिस्से को कच्चा किया जाए, ताकि जल का स्तर बढ़ सके।
नदी की पूर्ण रूप से सफाई करवाई जाए।
किनारे रहने वाले लोगों को जोड़ा जाए, ताकि वे देखरेख कर सकें।
गंदे पानी को पूर्ण रूप से साफ किया जाए, तभी नदी में पानी आए।

लोग बोले: गुणवत्ता नहीं देखी, जनता का पैसा हुआ बर्बाद

द्रव्यवती नदी के सौंदर्यीकरण का दावा भले ही जेडीए करे, लेकिन हकीकत यह है कि लोग नदी किनारे जाने से कतराते हैं। दुर्गंध और अव्यवस्था से लोग परेशान हैं और यही वजह है कि नदी किनारे रहने वाली लाखों की आबादी किनारे नहीं जा रही। राजस्थान पत्रिका को लोगों ने सुझाव भेजे। साथ ही यह भी बताया कि अब तक का पैसा बर्बाद ही हुआ है। लोगों ने कहा कि जल्दबाजी में गुणवत्ता नहीं देखी गई। जनता का पैसा अव्यवस्था में चला गया।

DIYA Reporter
Author: DIYA Reporter

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