बिहार और झारखंड सहित अन्य क्षेत्रों में चार दिनों तक चलने वाला छठ पर्व अपनी विशेष धार्मिक मान्यता और लोक आस्था के लिए जाना जाता है। इस वर्ष छठ का पहला दिन ‘नहाए-खाए’ शनिवार से शुरू हुआ। प्रकृति का माहौल इस अवसर पर अत्यधिक सुखद और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है।
छठ पर्व की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें किसी पुरोहित या पंडित की आवश्यकता नहीं होती और कोई मंत्रोच्चारण भी नहीं किया जाता। लोक आस्था का महापर्व ‘चैती छठ’ के तहत व्रती स्वयं ही पूजा-अर्चना और अनुष्ठान संपन्न करते हैं।
नहाए-खाए का दिन
आज शनिवार को नहाए-खाए का पर्व मनाया गया। व्रती सुबह-सुबह नदी या तालाब के घाट पर स्नान, ध्यान और पूजन करके अपने घर लौटे। इसके बाद घर पर पहला प्रसाद ग्रहण किया। प्रसाद में अरवा चावल, सेंधा नमक से बनी चने की दाल, लौकी की सब्जी और आंवला की चटनी शामिल होती है।
चार दिवसीय अनुष्ठान:






