मैं चाहता हूंं कि हर जन्म में मेरी किडनी फेल हो जाए; प्रेमानंद महाराज ने क्यों कहा ऐसा
वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज लंबे समय से किडनी की समस्या से ग्रसित हैं। इन दिनों उनकी तबीयत बिगड़ी तो उनके अनुयायी बेहद चिंतित हो उठे। इस बीच प्रेमानंद महाराज ने कहा है कि वह चाहते हैं कि हर जन्म में उनकी किडनी फेल हो जाए। उन्होंने ऐसी कामना करते हुए खुद इसकी एक दिलचस्प वजह भी बताई।
बाबा बागेश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री प्रेमानंद महाराज से आशीर्वाद लेने और उनका कुशलक्षेम जानने के लिए केली कुंज आश्रम पहुंचे थे। इस दौरान प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य को लेकर बातचीत भी हुई। बाबा बागेश्वर ने प्रेमानंद महाराज से कहा कि वह बीमार नहीं हैं, बल्कि यह उनकी लीला है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के ऐसा कहने पर प्रेमानंद महाराज भी ठाहके लगाकर हंसने लगे। इस दौरान एक सवाल के जवाब में प्रेमानंद महाराज ने कहा कि जो उन्हें किडनी फेल होने से मिला वह साधना से नहीं।
प्रेमानंद महाराज ने कहा, ‘भगवत बल होता है, जब भगवान का चिंतन होता है तो कोई प्रतिकूलता नहीं रहती है। सब प्रतिकूलता अनुकूलता हो जाती है। हमें किडनी ने जितनी अनुकूलता दी उतनी किसी साधना ने नहीं दी। जब किडनी फेल हुई तो बोध हुआ कि शरणागती का बोध हुआ। वास्तविक हाथ उठ गए कि अब तू किसी योग्य नहीं रहा, अब मरा। लाडली अब केवल बल आप हो। बस बात वहीं से बन गई। बात जो बनी वह साधना से नहीं, बात बनी जब साधना का अंहकार खत्म हो गया। मैं यह साधन करता हूं, मैं यह साधन करता हूं और जब साधने लायक नहीं रहा शरीर तो हम इससे पास हो गए। बस यही हमारी जन्म-जन्म की बिगड़ी बन गई।’
उन्होंने आगे कहा, ‘अब तो कहते हैं बार बार जन्म हो और हर बार जन्म से ही किडनी फेल हो। और प्रिया प्रितम की ठसक में रहूं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हमारा चित्त प्रिया प्रीतम चुरा लें इससे बढ़कर कोई लाभ नहीं है। वह तभी चुराएं जब हम किसी योग्य नहीं रहे। जब अंदर से आया कि अब तो गए, अब किसी योग्य नहीं रहे। वो बात कैसे बनेगी तो लाडली जी ने कहा कि मेरे लिए ही तो, मैं बनाती हूं बात। स्थिति देखो तो बहुत ही गंभीर और कष्टप्रद है। रात्रि के एक बजे शुरू होती है दिनचर्चा, 9 बजे विश्राम होता है। बस एक स्वस्थ शरीर से भी कठिन दिनचर्या श्रीजी चला रही हैं बहुत कृपा है।’