गाजा में युद्ध विराम को मजबूत करने और पुनर्निर्माण की योजना पर चर्चा के लिए सोमवार को मिस्र के रेड सी रिसॉर्ट शर्म एल-शेख में एक उच्च स्तरीय अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू शामिल नहीं हुए लेकिन उनकी संभावित भागीदारी को लेकर एक प्रमुख विवाद सामने आया है। दरअसल तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तईप एर्दोगन ने स्पष्ट रूप से नेतन्याहू को आमंत्रित करने का विरोध किया था। इसकी पुष्टि तुर्की के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को की। इस बीच, नेतन्याहू के कार्यालय ने अंतिम समय पर दिए गए न्योते को ठुकरा दिया, जिसमें आगामी यहूदी अवकाश को कारण बताया गया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह एल-सिसी द्वारा सह-मेजबानी वाले इस शिखर सम्मेलन में 20 से अधिक देशों के नेता या वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। इसका मुख्य उद्देश्य गाजा में इजरायल-हमास युद्ध विराम के पहले चरण को मजबूत करना, बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करना और युद्ध के बाद के पुनर्निर्माण की रूपरेखा तैयार करना था। सम्मेलन में फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली, कनाडा, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, पाकिस्तान और इंडोनेशिया जैसे देशों के नेता उपस्थित थे। तुर्की के एर्दोगन की बात करें तो वह इस चार-पक्षीय घोषणा के हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक थे। तुर्की के अलावा, इसमें अमेरिका, मिस्र और कतर के नेता शामिल थे।
एर्दोगन का कड़ा रुख: ‘नेतन्याहू की मौजूदगी अस्वीकार्य’
तुर्की के सत्ताधारी दल के प्रवक्ता ओमर चेलिक ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रपति एर्दोगन ने कभी इजरायली प्रधानमंत्री की उपस्थिति को स्वीकार नहीं किया था। उन्होंने कहा, “तुर्की ने नेतन्याहू की भागीदारी को रोकने के लिए कई तरह की तैयारी की थी।” एर्दोगन गाजा में इजरायली सैन्य कार्रवाइयों के कट्टर आलोचक हैं और उनके हमास के साथ संबंध हैं। एक अनाम तुर्की अधिकारी ने एपी को बताया कि एर्दोगन ने मिस्र के ऊपर उड़ान भरते हुए राष्ट्रपति सिसी से फोन पर बात की और चेतावनी दी कि यदि नेतन्याहू सम्मेलन में पहुंचे, तो उनका विमान शर्म एल-शेख में उतरेगा ही नहीं।
यह पहली सार्वजनिक पुष्टि है कि तुर्की ने सक्रिय रूप से नेतन्याहू की भागीदारी को ब्लॉक किया। एर्दोगन ने सार्वजनिक रूप से अपनी भूमिका पर टिप्पणी नहीं की, लेकिन चेलिक ने जोर दिया कि “नेतन्याहू की भागीदारी कभी एजेंडे पर नहीं थी।” एर्दोगन ने गाजा की तबाही पर कहा, “नरसंहार के कारण हुए विनाश को पूरी तरह ठीक करना असंभव हो सकता है। गाजा का पुनर्निर्माण वर्षों लगेगा।”
इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने भी मिस्र और अमेरिकी अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि यदि नेतन्याहू आएंगे, तो वे सम्मेलन से हट जाएंगे। इराकी न्यूज एजेंसी के अनुसार, यह विरोध क्षेत्रीय स्तर पर इजरायल के खिलाफ बढ़ते असंतोष को दर्शाता है।
नेतन्याहू का न्योता और अस्वीकृति: अवकाश या दबाव?
नेतन्याहू को अंतिम समय पर न्योता अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने दिया, जो सोमवार सुबह बेन गुरियन हवाई अड्डे से संसद (क्नेसेट) जाते समय उनके साथ कार में थे। बताया जा रहा है कि ट्रंप ने सिसी से फोन पर बात की और उनसे नेतन्याहू को आमंत्रित करने को कहा। सिसी ने तुरंत फोन किया और नेतन्याहू ने न्योता स्वीकार कर लिया। मिस्र के राष्ट्रपति कार्यालय ने घोषणा की कि नेतन्याहू और फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास दोनों सम्मेलन में भाग लेंगे।
हालांकि, कुछ घंटों बाद नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि वे अवकाश के कारण नहीं आ सकेंगे। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति ट्रंप को न्योते के लिए धन्यवाद दिया, लेकिन शेमिनी अत्जेरत-सिमचत तोरा अवकाश की निकटता के कारण भाग नहीं ले सकेंगे, जो सोमवार सूर्यास्त से शुरू होता है।” यहूदी परंपरा में अवकाश के दौरान यात्रा से परहेज किया जाता है। नेतन्याहू के कार्यालय ने ट्रंप की “शांति विस्तार” की सराहना की, लेकिन सिसी का जिक्र नहीं किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, असल कारण अवकाश नहीं, बल्कि एर्दोगन का विरोध था। गार्जियन की रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रंप का न्योता एर्दोगन की चेतावनी के बाद रद्द हो गया।