मुख्य सचिव सुधांश पंत ने चेतावनी दी की चिकित्सा सेवाओं में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और जिम्मेदारी तय की जाएगी. मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार का उद्देश्य नागरिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएं सुनिश्चित करना है. उन्होंने आमजन को चिकित्सक की सलाह के बिना दवा नहीं लेने के लिए जागरूक करने के निर्देश दिए.
साथ ही चिकित्सक, फार्मासिस्ट और स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा दवा प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने को कहा. पंत ने बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए संभावित हानिकारक दवाओं पर चेतावनी अंकित करने, तथा डोर-टू-डोर सर्वे और आईईसी गतिविधियों के जरिए जनजागरूकता अभियान तेज करने के निर्देश दिए.
उन्होंने कहा कि लोगों को बिना चिकित्सकीय परामर्श दवाइयों के सेवन से बचने के लिए प्रेरित किया जाए. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़ ने बताया कि गुणवत्ता संदिग्ध खांसी सिरप की जानकारी मिलते ही विभाग ने तुरंत सभी बैचों के वितरण और उपयोग पर रोक लगा दी थी. साथ ही एडवाइजरी जारी कर चिकित्सकों, फार्मासिस्टों और आमजन की काउंसलिंग की जा रही है . खांसी की सीरप के स्थान पर वैकल्पिक उपचार पर भी जोर दिया जा रहा है.
सीएचओ, एएनएम और आशा कार्यकर्ता घर-घर सर्वे कर मौसमी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की पहचान कर रहे हैं, और लोगों को यह संदेश दे रहे हैं कि घर पर रखी पुरानी दवाएं न लें, नजदीकी चिकित्सा संस्थान जाकर चिकित्सक से परामर्श करें. विशेष रूप से बच्चों और गर्भवती महिलाओं को बिना परामर्श के दवा न दी जाए और घर की दवाएं उनकी पहुंच से दूर रखी जाएं.
राठौड़ ने बताया कि तकनीकी समिति गठित कर दी गई है, जो बच्चों में सामने आ रहे लक्षणों, उपचार और अन्य पहलुओं की विस्तृत जांच कर रही है. इस संबंध में राज्य के शिशु रोग विशेषज्ञों और अन्य विशेषज्ञों से परामर्श भी लिया जा रहा है ताकि बच्चों की मौत के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके और भविष्य में ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति न हो.