बिहार ही नहीं देश की जानी-मानी लोक गायिका मैथिली ठाकुर ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. मैथिली ठाकुर ने न्यूज़ 18 के साथ खास बातचीत में कहा कि वह दरभंगा या मधुबनी कहीं से भी चुनाव लड़ सकती हैं. मैथिली ने कहा कि वह चुनाव के लिए बिलकुल तैयार हैं. वह अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहती हैं. मैथिली ठाकुर ने कहा कि चुनाव के साथ-साथ संगीत भी साथ चलेगा. प्रभु सेवा और जनसेवा साथ-साथ होगी. उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ने के कारण संगीत बिलकुल भी नहीं छूटेगा. वह अपने क्षेत्र के लोगों के लिए काम करना चाहती हूं.
मैथिली ठाकुर किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगी? इस सवाल के जवाब को लेकर मैथिली ने बीजेपी की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक पार्टी के साथ उनकी विचारधार मिलती है, आपने तस्वीरें देखी होंगी. आपने मेरे गीतों को सुना होगा. सनातन से मेरा लगाव है. ऐसे में आप समझ सकते हैं. बस दो दिन में सारी घोषणा हो जाएगी. किस सीट से चुनाव लड़ूँगी यह सब क्लियर हो जाएगा. बस थोड़ा इंतजार कर लीजिये. वहीं मैथिली ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से काफी प्रभावित रही हैं. उनको देखकर ही राजनीति में आने का मन बनाया है.
बता दें, मैथिली ठाकुर बीजेपी के टिकट पर अलीनगर सीट से चुनाव लड़ सकती है. हालांकि वह किस सीट से चुनाव लड़ेंगी इसको लेकर अभी तक कुछ आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन, मैथिली ठाकुर दरभंगा या मधुबनी के किसी विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ेंगी. दरअसल देश की जानी-मानी लोकगायिका और बिहार की बेटी मैथिली ठाकुर ने बीजेपी के चुनाव प्रभारी विनोद तावड़े और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय से मुलाकात की थी. इस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं, जिसके बाद मैथिली के बीजेपी टिकट पर चुनाव लड़ने की चर्चाएं जोर पकड़ रही थी. विशेषज्ञों का मानना है कि मैथिली का राजनीतिक सफर मिथिलांचल क्षेत्र में एनडीए के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है.
बता दें, मैथिली ठाकुर का जन्म 25 जुलाई 2000 को मधुबनी जिले के बेनीपट्टी में हुआ. उनके पिता रमेश ठाकुर एक संगीतकार हैं, जिन्होंने बचपन से ही उन्हें संगीत की बारीकियां सिखाईं. मैथिली ने मात्र 13 साल की उम्र में राइजिंग स्टार जैसे रियलिटी शो में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. ‘चलो बिहार के गीत गावें’, ‘मैया मोर ला गावना आवेला’ जैसे लोकगीतों ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई. 2024 में उन्हें ‘कल्चरल एंबेसडर ऑफ द ईयर’ अवॉर्ड मिला, जबकि 2023 में चुनाव आयोग ने उन्हें बिहार का ‘स्टेट आइकॉन’ बनाया. लोकसभा चुनाव 2024 में उन्होंने मधुबनी में वोटिंग के दौरान अपनी दादी-चाची के साथ पहली बार वोट डाला और मतदाता जागरूकता अभियान में सक्रिय भूमिका निभाई. लेकिन, अब उनकी यह सक्रियता राजनीतिक रंग ले रही है.
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