भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई सोशल मीडिया को लेकर अलर्ट हैं। मंगलवार को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान साथी जज से कान में अपनी राय खुलकर देने के बजाए कान में कहने लिए कहा। खास बात है कि यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है, जब एक दिन पहले ही अदालत परिसर में एक वकील ने सीजेआई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की थी।
बार एंड बेंच के अनुसार, मंगलवार को सीजेआई ने कहा, ‘मेरे भाई जस्टिस विनोद चंद्रन कुछ कहना चाहते हैं, लेकिन सोशल मीडिया के दौर में हमें नहीं पता कि इस किस तरह से रिपोर्ट किया जाएगा। ऐसे में मैंने उनसे सिर्फ मेरे कान में अपनी बात बताने के लिए कह दिया।’
वकील ने फेंक दिया था जूता
सोमवार को 72 साल के वकील राकेश किशोर ने सीजेआई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी, लेकिन सुरक्षा गार्डों ने तुरंत हरकत में आकर उन्हें पकड़ लिया। बाद में सीजेआई ने भी साफ किया था कि उन्हें इस बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता और वकील को जाने देने के लिए कहा था। इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने भी पूछताछ के बाद वकील को छोड़ दिया था।
क्यों फेंका जूता
हमले के बाद वकील ने कई वजहें बताई हैं। किशोर का कहना है कि वह भगवान विष्णु की प्रतिमा के मामले में दाखिल जनहित याचिका पर सीजेआई की तरफ से की गई टिप्पणियों से आहत थे। साथ ही उन्होंने सीजेआई गवई की तरफ से बुलडोजर ऐक्शन को लेकर की गईं टिप्पणियों पर भी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि अगर संपत्ति पर अवैध कब्जा करने वालों के ठिकानों पर बुलडोजर चल रहे हैं तो क्या गलत है।
नहीं मांगेंगे माफी
उन्होंने सफाई दी, ‘वैसे मैं हिंसा के बहुत ज्यादा खिलाफ हूं, लेकिन आप यह भी देखिए कि एक अहिंसक आदमी, सीधा सच्चा आदमी, जिसके ऊपर कोई आज तक नहीं है, किसी ग्रुप से नहीं है, उसको ये सब क्यों करना पड़ा? यह सोचने वाली बात है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मैं भी कम पढ़ा लिखा नहीं हूं। मैं भी गोल्ड मेडलिस्ट हूं। ऐसा नहीं है कि मैं नशे में था या मैंने कोई गोलियां खा रखी थीं। उन्होंने ऐक्शन किया, मेरा रिएक्शन था। आप इसे जैसे लेना चाहें लीजिए। मुझे किसी बात का डर नहीं है और न ही मुझे किसी बात का अफसोस है।’