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October 8, 2025 9:02 am

2 अक्टूबर को शस्त्र पूजा मुहूर्त: दोपहर 2:09 से 2:56 तक करें पूजन

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Dussehra 2025 Puja Muhurat: दशहरा 2025 में 2 अक्तूबर को मनाया जाएगा. इस दिन देवी अपराजिता की पूजा करने से जीवन में आने वाली हर रुकावट दूर होती है. शस्त्र पूजा का मुहूर्त दोपहर 2:09 से 2:56 तक है. सुकर्मा और रवि योग जैसे शुभ संयोग इस दिन को और खास बना देते हैं. देवी की कृपा और सही पूजा विधि से जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि आती है.

Dussehra 2025 Puja Muhurat: हर साल की तरह इस बार भी दशहरा पूरे देश में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाएगा. यह पर्व 2 अक्तूबर 2025 को पड़ रहा है. दशहरा को विजयदशमी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन अच्छाई ने बुराई को हराया था. राम ने रावण का अंत किया था और मां दुर्गा ने महिषासुर का वध. इसलिए यह दिन जीत का प्रतीक माना जाता है. दशहरा केवल त्योहार नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है कि हर बुराई का अंत निश्चित है और सच्चाई की जीत होती है. इस दिन देवी अपराजिता की पूजा करने की परंपरा है. कहा जाता है कि श्रीराम ने भी रावण से युद्ध के पहले देवी अपराजिता की पूजा की थी, जिससे उन्हें सफलता मिली. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
क्यों करें देवी अपराजिता की पूजा?
देवी अपराजिता को अजेय माना गया है. जिनके जीवन में बार-बार मुश्किलें आती हैं या कोई काम सफल नहीं हो रहा, उन्हें इस दिन देवी अपराजिता की पूजा जरूर करनी चाहिए. मान्यता है कि इनकी पूजा से जीवन में रुकावटें दूर होती हैं और हर क्षेत्र में जीत मिलती है.
इस दिन देवी अपराजिता का विशेष मंत्र “ॐ अपराजितायै नम:” का जाप करना चाहिए. यह मंत्र मन और सोच को मजबूत बनाता है और आत्मविश्वास बढ़ाता है.
शस्त्र पूजा का सही समय और योग
दशहरा के दिन शस्त्र पूजा का विशेष महत्व है. यह पूजा दोपहर 2:09 बजे से 2:56 बजे तक के बीच करनी चाहिए. इस समय को विजय मुहूर्त कहा गया है, जिसमें किए गए काम शुभ फल देते हैं.
इस बार शस्त्र पूजा दो शुभ योगों में हो रही है – सुकर्मा योग और रवि योग. सुकर्मा योग रात 11:29 बजे तक रहेगा और रवि योग पूरे दिन बना रहेगा. इसके अलावा श्रवण नक्षत्र सुबह 9:13 बजे से शुरू होगा, जो पूरी रात तक रहेगा.
शस्त्र पूजा कैसे करें?
-सबसे पहले अपने शस्त्र या औजारों को साफ करें.
-उन पर गंगाजल छिड़कें.
-हल्दी और कुमकुम से तिलक करें.
-फूल, अक्षत और शमी के पत्ते अर्पित करें.
-“शस्त्र देवता पूजनम्, रक्षा कर्ता पूजनम्” मंत्र का उच्चारण करें.
-साथ ही शमी वृक्ष का यह मंत्र पढ़ें:
‘शमी शमी महाशक्ति सर्वदुःख विनाशिनी. अर्जुनस्य प्रियं वृक्षं शमी वृक्षं नमाम्यहम्॥’
दशहरा पूजा मंत्र
दशहरा पर पूजा के लिए देवी अपराजिता का मंत्र है- ओम अपराजितायै नम:
आप अपराजिता स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं.
दशहरे का महत्व
दशहरा हमें यह सिखाता है कि अधर्म चाहे जितना भी बड़ा हो, धर्म की शक्ति उसे हराने में सक्षम होती है. यह पर्व शक्ति, विजय और साहस का प्रतीक है. आज के समय में जब जीवन में कई तरह की चुनौतियां आती हैं, तब यह पर्व हमें विश्वास देता है कि अंत में जीत हमारी ही होगी.
Pooja Reporter
Author: Pooja Reporter

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