दुकानदारों का कहना है कि जब व्यापार ही बर्बाद हो गया तो रोशनी करने का कोई मतलब नहीं। जेडीए की हाल ही में की गई कार्रवाई ने यहां के व्यापारियों की दशकों पुरानी मेहनत पर पानी फेर दिया है। झारखंड मोड़ से खातीपुरा तिराहे तक करीब 105 दुकानों को अतिक्रमण बताकर तोड़ दिया गया है। इसके चलते खातीपुरा के सैकड़ों परिवारों की आजीविका पर संकट खड़ा हो गया है।
दशकों पुराने व्यापार पर गिरी गाज..
जिन दुकानों को तोड़ा गया, उनमें से कई सालों से यहां चल रही थी और पीढ़ियों का कारोबार जुड़ा था। खातीपुरा व्यापार मंडल अध्यक्ष भवानी सिंह राठौड़ ने कहा कि मैं 1994 में अध्यक्ष बना था। लेकिन पहली बार देख रहा हूं कि हमारे साथी व्यापारी पूरी तरह बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं। जिन दुकानों को तोड़ा गया था। उनमें से मुश्किल से 10-15 ने दोबारा शुरूआत की है। वह भी अपने घरों को अस्थायी दुकान बनाकर की है।
मकान बने सहारा, लेकिन कारोबार फेल..
जिन दुकानदारों के मकान दुकानों के पीछे थे, उन्होंने किसी तरह वहां अस्थायी रूप से दुकान शुरू की है। लेकिन इस तरह का कारोबार टिकाऊ नहीं है और न ही पहले जैसी रौनक ला पा रहा है। जिन परिवारों का पूरा जीवन व्यापार पर आधारित था, वे अब आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं।
खातीपुरा बाजार की पहचान..
खातीपुरा का बाजार जयपुर के प्रमुख व्यावसायिक केंद्रों में गिना जाता है। यहां करीब 3500 से ज्यादा व्यापारी खातीपुरा व्यापार मंडल से जुड़े हुए हैं। यह बाजार खातीपुरा तिराहे से झारखंड मोड़ से खातीपुरा तिराहा, खातीपुरा तिराहा से रानी बाजार की पुलिया और रानी बाजार की पुलिया से लेकर खिरनी फाटक तक फैला हुआ है। यहां कपड़े, किराना, स्टेशनरी, इलेक्ट्रॉनिक और रोजमर्रा की जरूरत की सैकड़ों दुकानें इस बाजार की पहचान रही हैं। दिवाली, होली, तीज-त्योहारी सीजन में यहां खासी भीड़ रहती थी।
राजनीति में उलझा मामला
व्यापारियों का आरोप है कि इस कार्रवाई के पीछे राजनीतिक दखल और दबाव भी शामिल रहा है। अध्यक्ष भवानी सिंह राठौड़ ने कहा कि हम चाहकर भी दुकानों को टूटने से नहीं बचा पाए। विधायक गोपाल शर्मा भी हमारे साथ खड़े थे, लेकिन वह भी कुछ नहीं कर पाए। मामला बड़े स्तर पर राजनीति में उलझा और इसका खामियाजा हम व्यापारियों को भुगतना पड़ा।
दिवाली जैसे बड़े त्योहार पर जब पूरा शहर रौशनी से सराबोर होगा, तब खातीपुरा का बाजार अंधेरे में डूबा रहेगा। यह अंधेरा सिर्फ दुकानों का नहीं, बल्कि हमारे जीवन का अंधेरा है।
अचल भारद्वाज, दुकानदार
समझ ही नहीं आ रहा है कि क्या करे व्यापारी। पूरी तरह से बर्बाद हो चुके है, सब कुछ खत्म हो चुका है। 40—50 साल से दुकानें थी, सारे कागजात थे। लेकिन सब को अतिक्रमण के नाम पर तोड़ दिया। अब हम काली दिवाली मनाकर विरोध करेंगे।
शुभम शर्मा, दुकानदार
राजधानी जयपुर में सिर्फ एक ऐसा बाजार होगा, जहां इस बार काली दीपावली मनाई जाएगी। झारखंड मोड़ से खातीपुरा तिराहे तक व्यापारी काली दिवाली मनाएंगे। जेडीए ने सड़क चौड़ी करने के नाम पर दुकाने तो तोड़ डाली। उसके बाद कौनसी सड़क चौड़ी कर दी। अपना काम करके चले गए और बर्बाद हो गए हम दुकानदार।
भवानी सिंह राठौड़
अध्यक्ष, खातीपुरा व्यापार मंडल अध्यक्ष