भारत सरकार पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBs) में विदेशी निवेश की लिमिट 20% से बढ़ाने पर विचार कर रही है. यह कदम पूंजी जुटाने और बैंकों को मजबूत वैश्विक संस्थानों में बदलने की दिशा में अहम साबित हो सकता है. अंग्रेजी के अखबार इकोनॉमी टाइम्स की खबर के मुताबिक, हालांकि, सरकार ने साफ किया है कि उसकी हिस्सेदारी 51% से कम नहीं होगी, ताकि इन बैंकों का सार्वजनिक चरित्र कायम रहे. यह प्रस्ताव व्यापक आर्थिक सुधारों के पैकेज का हिस्सा है, जिस पर जल्द ही उच्च स्तर पर फैसला लिया जाएगा.
कमज़ोर बाज़ार के बीच बुधवार को सरकारी बैंकों के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली. SBI, Canara Bank और Indian Bank ने अपने-अपने 52-सप्ताह के उच्च स्तर छुए. सुबह 10:07 बजे तक Nifty PSU Bank Index 1.2% चढ़कर दिन का टॉप गेनर सेक्टोरल इंडेक्स बना. इस दौरान इंडेक्स 7,543.50 तक पहुंचा, जो जून 2024 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है.
कौन-कौन से बैंक चमके?
State Bank of India (SBI): देश का सबसे बड़ा बैंक, जिसने 52-सप्ताह का नया हाई बनाया.Canara Bank: मजबूत बैलेंसशीट और हालिया तिमाही नतीजों से शेयर में तेजी आई.Indian Bank: निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी से 52-सप्ताह का उच्चतम स्तर छुआ.
PSU बैंक इंडेक्स का प्रदर्शन
सुबह 10:07 बजे तक Nifty PSU Bank Index 1.2% चढ़ा.इंडेक्स का इंट्रा-डे हाई 7,543.50 रहा, जो 19 जून 2024 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है.ध्यान देने वाली बात यह है कि इंडेक्स ने 3 जून 2024 को 8,053.30 का ऑल-टाइम हाई बनाया था.
क्यों आ रही तेजी?
विशेषज्ञों का मानना है कि बैंकों की बैलेंसशीट मजबूत, एनपीए स्तर घटा और प्रॉफिटेबिलिटी बेहतर हुई है.सरकारी बैंकों के लिए सरकार की संभावित नीतिगत घोषणाओं और विदेशी निवेश लिमिट बढ़ाने की चर्चा ने भी सेंटिमेंट को सपोर्ट किया है.घरेलू निवेशकों की लगातार खरीदारी से भी इंडेक्स को सहारा मिला है, जबकि विदेशी निवेशक हाल में बिकवाली कर रहे हैं.
भारत सरकार पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBs) में फॉरेन इन्वेस्टमेंट लिमिट को मौजूदा 20% से बढ़ाने पर विचार कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, इस कदम का मकसद बैंकों की रकम जुटाने की क्षमता बढ़ाना और उन्हें ऐसे संस्थान बनाना है जो ग्लोबल स्तर पर कॉम्पिटिशन कर सकें.
सरकार का क्या प्लान है-फिलहाल PSBs में FDI लिमिट 20% और वोटिंग राइट्स 10% तक सीमित हैं.प्राइवेट बैंकों में यह सीमा 74% है.सरकार का कहना है कि उसकी हिस्सेदारी 51% से नीचे नहीं जाएगी, ताकि पब्लिक कैरेक्टर और बोर्ड्स की निर्णय क्षमता सुरक्षित रहे. विकल्प के तौर पर “गोल्डन शेयर मैकेनिज्म” पर भी विचार हो रहा है, जिससे नियंत्रण सरकार के पास ही रहेगा.
PSBs की नई ताकत-वित्त सचिव एम. नागराजु ने हाल ही में कहा कि PSBs अब “सर्वाइवल और स्टेबिलिटी” के दौर से आगे निकलकर ग्रोथ और इनोवेशन के चैंपियन बनने की स्थिति में हैं.उन्होंने Viksit Bharat 2047 की यात्रा में सरकारी बैंकों को बड़ा रोल निभाने की जरूरत बताई.इन बैंकों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा, गवर्नेंस और ऑपरेशनल रेज़िलियंस में मजबूत करने पर फोकस है.
पिछले कुछ वर्षों में PSBs की फाइनेंशियल कंडिशन काफी बेहतर हुई है. GNPA (Gross NPA) मार्च 2021 के 9.11% से घटकर मार्च 2025 में 2.58% हो गया.नेट प्रॉफिट ₹1.04 लाख करोड़ से बढ़कर ₹1.78 लाख करोड़ हो गया है. डिविडेंड पेआउट ₹20,964 करोड़ से बढ़कर ₹34,990 करोड़ हो गया है.
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि भारत की तेज़ आर्थिक ग्रोथ और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश की संभावनाओं के कारण PSBs में विदेशी निवेशकों के लिए जबरदस्त अवसर हैं.
एक राज्य संचालित बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने अखबार को बताया कि, आज सबसे बड़ी समस्या रकम है. अगर हमें दुनिया के टॉप ग्लोबल बैंकों में शामिल होना है तो बैलेंस शीट मजबूत करनी होगी. विदेशी निवेश इसमें गेम चेंजर साबित हो सकता है.”
क्रेडिट ग्रोथ की गुंजाइश-CareEdge Ratings ने अखबार को बताया कि भारत का बैंक क्रेडिट-टू-GDP रेशियो अभी भी कम है, जिससे लंबे समय तक क्रेडिट डीपनिंग की बड़ी गुंजाइश बनती है.
