क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के सुर भारत के प्रति बदल रहे हैं. रात ट्रंप ने भारत के प्रति जो बयान दिया उसमें हाल के दिनों में पहली बार तल्खी के बजाय समझौते और अपनी बात कहने की मंशा अधिक दिख रही थी।
उनकी प्रतिक्रिया चीन में SCO समिट के दौरान भारत-चीन-रूस के बीच सामने आई नई केमेस्ट्री के बाद सामने आई थी।
जानकारों के अनुसार ट्रंप के रुख में बदलाव की वजह ये भी हो सकती है कि उनके ही प्रशासन के अंदर भारत के लिए रुख में बदलाव करने का दबाव डाला जा रहा है। ऐसी आवाजें उठीं कि भारत अमेरिका का पुराना साझीदार रहा है। ऐसे समय उसे दूर करना सही फैसला नहीं होगा।
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ट्रंप ने कहा कि बहुत कम लोग यह समझते हैं कि हम भारत के साथ बहुत कम व्यापार करते हैं, जबकि वे हमारे साथ बहुत ज्यादा व्यापार करते हैं। दूसरे शब्दों में, वे हमें भारी मात्रा में सामान बेचते हैं, जो उनका सबसे बड़ा ग्राहक है, लेकिन हम उन्हें बहुत कम बेचते हैं। अब तक यह पूरी तरह से एकतरफा रिश्ता रहा है, और यह कई दशकों से चला आ रहा है।
इसकी वजह यह है कि भारत ने अब तक हम पर इतने ऊंचे टैरिफ लगाए हैं, किसी भी देश से ज्यादा कि हमारे व्यवसायी भारत में सामान नहीं बेच पा रहे हैं। यह पूरी तरह से एकतरफा आपदा रही है।’
माना जा रहा है कि ट्रंप इस बात पर भारत से नाराज है कि उन्हें भारत-पाक युद्ध रोकने का क्रेडिट नहीं मिला दरअसल, पिछले कुछ दिनों में ट्रंप के शीर्ष सहयोगियों ने भारत के प्रति ज़्यादा संयमित रुख अपनाया है। एक नरम और मौन संदेश की जगह अब तीखी आलोचनाओं की बौछार ने ले ली है, जो सिर्फ़ एक हफ़्ते पहले हुई थी, जिसमें भारत को क्रेमलिन का लॉन्ड्रोमैट और यूक्रेन विवाद को मोदी का युद्ध कहा गया था।
यहाँ तक कि व्हाइट हाउस में ट्रम्प की बुधवार की टिप्पणी भी ज़्यादा संयमित थी और भारत के साथ व्यापार असंतुलन पर केंद्रित थी। इसमें कोई भी बेबाकी या सनसनीखेज बयानबाज़ी नहीं थी। ट्रंप ने कहा कि भारत के साथ हमारे रिश्ते बहुत अच्छे हैं, लेकिन कई सालों तक यह एकतरफ़ा रिश्ता रहा… भारत हम पर ज़बरदस्त टैरिफ़ लगा रहा था, जो दुनिया में सबसे ज़्यादा था। यह कोई असामान्य बात नहीं थी, जैसा कि ट्रंप सालों से आरोप लगाते रहे हैं।
उनकी पसंदीदा हार्ले-डेविडसन वाली उपमा भी वापस आ गई। यहाँ तक कि ट्रुथ सोशल पर उनकी पोस्ट, जिसमें उन्होंने भारत के साथ संबंधों को “एकतरफ़ा” बताया था। ट्रंप के शब्दों में ये बस विचार करने लायक साधारण तथ्य थे। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने भी संयमित लहजे में बात की। तेल खरीद के ज़रिए यूक्रेन में रूस के युद्ध को वित्तपोषित करने की भारत की आम आलोचना तो हुई, लेकिन बेसेंट ने अमेरिका-भारत संबंधों की मज़बूती और लचीलेपन पर ज़ोर देकर इसे थोड़ा नरम बना दिया।
