रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने NATO पर नजर रखने के लिए एक बड़ा जासूसी सेंटर तैयार कर लिया है. सैटेलाइट तस्वीरों और ओपन सोर्स रिसर्च से इसका खुलासा हुआ है. तस्वीरों के मुताबिक ये जासूसी ठिकाना कलिनिनग्राद क्षेत्र में बनाया जा रहा है. यानी वही इलाका जो पोलैंड और लिथुआनिया, जो कि दोनों ही नाटो सदस्य हैं, के बीच रूस का अर्ध-एक्सक्लेव है.
दो साल से चल रहा यह प्रोजेक्ट अब लगभग पूरा हो चुका है. तस्वीरें बताती हैं कि यहां जो संरचना बन रही है, वह सर्कुलरली डिस्पोज़्ड एंटेना एरे (CDAA) जैसी है. CDAA सिस्टम रेडियो इंटेलिजेंस का मास्टर है. यह दुश्मन देशों के रेडियो संदेश पकड़ सकता है, उनकी गतिविधियों को ट्रैक कर सकता है और यहां तक कि पनडुब्बियों तक संदेश भी भेज सकता है.
क्यों डर रहा है NATO?
NewsWeek की एक खबर के मुताबिक कलिनिनग्राद पहले ही यूरोप का सबसे सैन्यीकृत इलाका माना जाता है. यहां रूस ने मिसाइलें, रडार और नौसैनिक बेस तैनात कर रखे हैं. अब इस नए जासूसी केंद्र से रूस सीधे नाटो देशों के संचार को पकड़ पाएगा. विशेषज्ञों का मानना है कि यह ठिकाना न सिर्फ नाटो की जासूसी करेगा, बल्कि बाल्टिक सागर और उत्तर अटलांटिक में तैनात रूसी पनडुब्बियों से भी बेहतर तरीके से संपर्क बना सकेगा.
जासूसी सेंटर का आकार चौंकाने वाला है
विश्लेषकों का कहना है कि इस जासूसी ढांचे का आकार किसी भी मौजूदा CDAA से कहीं बड़ा है. अनुमान है कि एंटेना का घेरा करीब 1,600 मीटर तक फैला है. तस्वीरों में कई गोलाकार घेरे, एंटेना के लिए खोदे गए गड्ढे और मोटी सुरक्षा दीवार साफ दिखाई देती है.
सैटेलाइट तस्वीरों की तुलना करें तो फर्क साफ दिखता है. 2023 में जहां घना जंगल था, अब वहां जमीन समतल है. गोल घेरे बन चुके हैं और चारों तरफ सुरक्षा दीवार खड़ी कर दी गई है. अगस्त 2025 तक छह अलग-अलग एंटेना रिंग्स बन चुकी हैं, यानी काम तेजी से फाइनल स्टेज में है.
