सीजफायर के 2 महीने बाद क्या ईरान पर फिर से अमेरिका और इजराइल का हमला हो सकता है. तेहरान, तेल अवीव और वाशिंगटन से इसको लेकर 3 बड़े संकेत मिल रहे हैं. एक तरफ जहां अमेरिका ने फिर से डिएगो गार्सिया नौ-सैनिक अड्डे पर अपने सैनिकों की तैनाती कर दी है. वहीं तेहरान में खामेनेई के सैन्य सलाहकार ने भी युद्ध होने की आशंका जताई है.
ईरान और इजराइल के बीच जून 2025 में 12 दिनों का जंग हुआ था. इस जंग में ईरान के एक दर्जन से ज्यादा परमाणु वैज्ञानिक और सैन्य कमांडर मारे गए थे. जंग में 600 से ज्यादा आम नागरिकों की मौत हुई थी. इजराइल को भी जंग में काफी नुकसान हुआ था.
जंग की आहट क्यों, 3 प्वॉइंट्स
1. न्यूजवीक ने सैटेलाइट इमेज की एनालिसिस की है. इसके मुताबिक अमेरिका ने फिर से डिएगो गार्सिया नौ-सैनिक अड्डे पर अपने सैनिकों की तैनाती की है. पिछली बार ईरान पर हमला से पहले यहीं पर अमेरिका ने अपने सैनिकों और जहाजों की तैनाती की थी. हालांकि, ईरान पर सीधे बी-2 बॉम्बर से हमला किया गया था.
डिएगो गार्सिया हिंद महासागर के मध्य में स्थित है. यह चीन और ईरान से 2000KM दूर स्थित है. यहां से दोनों देशों की मॉनिटरिंग आसानी से की जा सकती है. चीन पर ईरान को हथियार देने का आरोप लगता रहा है. हालांकि, बीजिंग खुलकर कभी इसे स्वीकार नहीं करता है.
2. ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई के सैन्य सलाहकार और आईआरजीसी में वरिष्ठ जनरल पद पर तैनात याह्या रहीम सफवी कहा कहना है कि हम युद्धविराम की स्थिति में नहीं हैं, बल्कि युद्ध के दौर में हैं. हमारे और अमेरिका या इजराइल के बीच युद्धविराम को लेकर कोई लिखित समझौता नहीं है.
सफवी के मुताबिक इजराइल और ईरान के बीच कभी भी जंग की शुरुआत हो सकती है. ईरान के उप राष्ट्रपति का कहना है कि जंग की शुरुआत अब अगर होती है तो ईरान को इसमें जीत मिलेगी. उन्होंने इजराइल को बर्बाद करने की बात कही है.
3. अमेरिका और इजराइल ने ईरान को यूरेनियम खत्म करने के लिए अगस्त तक का डेडलाइन दे रखा है. पिछले हफ्ते ईरान ने इंटरनेशनल एटॉमिक संस्था के अधिकारियों को तेहरान जरूर बुलाया, लेकिन यूरेनियम का डेटा नहीं दिया. दूसरी तरफ लेबनान और यमन ने ईरान पर उकसावे का आरोप लगाया है. इन वजहों से मिडिल ईस्ट में तनाव और ज्यादा बढ़ गया है.
