Thailand Monk Blackmail Case: थाईलैंड में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे देश में सनसनी फैला दी है. यहां एक महिला ने कई वरिष्ठ भिक्षुओं (मॉनक्स) को अपने प्रेमजाल में फंसाकर उनके साथ संबंध बनाए और फिर उन्हीं की तस्वीरों और वीडियो के जरिए ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया. महिला की पहचान विलावन एम्सावात (Wilawan Emsawat) के रूप में हुई है, जिसकी उम्र करीब 35 साल बताई जा रही है. पुलिस ने उसे राजधानी बैंकॉक के पास नॉनथबुरी प्रांत स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया है.
मठ से निष्कासित हुए 9 भिक्षु
थाईलैंड की सेंट्रल इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (CIB) के अनुसार, इस महिला ने कम से कम 9 वरिष्ठ भिक्षुओं को अपने जाल में फंसाया और उनसे भारी रकम वसूली. इन सभी भिक्षुओं को अब मठ से निष्कासित कर दिया गया है और उनकी सन्यास दीक्षा रद्द कर दी गई है.
थाईलैंड में अधिकांश भिक्षु थेरेवाद संप्रदाय से जुड़े होते हैं, जहां सदाचार और ब्रह्मचर्य (celibacy) का पालन अनिवार्य होता है. यहां तक कि महिला को छूना भी वर्जित माना जाता है. ऐसे में इस तरह की घटनाएं पूरे बौद्ध धर्म जगत को हिला कर रख देती हैं.
385 मिलियन बाथ की ठगी
पुलिस के मुताबिक, पिछले तीन सालों में विलावन ने करीब 385 मिलियन बाथ (लगभग 120 करोड़ रुपए) इन भिक्षुओं से वसूले. अधिकतर पैसे उसने ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी में उड़ा दिए. जांच के दौरान पुलिस को उसके मोबाइल में हजारों फोटो और वीडियो, साथ ही कई आपत्तिजनक चैट लॉग्स मिले हैं, जिनका इस्तेमाल वह ब्लैकमेलिंग के लिए करती थी.
झूठा प्रेग्नेंसी का ड्रामा भी किया
यह मामला तब सामने आया जब एक वरिष्ठ भिक्षु ने अचानक सन्यास छोड़ दिया. दरअसल, महिला ने उसे कहा कि वह प्रेग्नेंट है और इस बात को छिपाने के लिए 7.2 मिलियन बाथ (करीब 2.2 करोड़ रुपये) की मांग की. भिक्षु घबरा गया और मठ छोड़ दिया, जिससे मामले की परतें खुलनी शुरू हुईं.
गंभीर धाराओं में केस दर्ज
पुलिस ने विलावन पर ब्लैकमेलिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध संपत्ति प्राप्त करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. एक मंदिर से जुड़े बैंक अकाउंट से उसके खाते में ट्रांजैक्शन का भी पता चला है. पुलिस अधिकारी जारूनकियात पनकाव के अनुसार, “यह महिला बेहद खतरनाक है और अगर समय रहते न पकड़ी जाती, तो और कई भिक्षु फंस सकते थे.”
पुलिस अब पूरे देश में साधुओं से जुड़ी गतिविधियों की जांच करने जा रही है और यह मामला थाईलैंड में धार्मिक संस्थाओं की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है.
