Shubhanshu Shukla Return Latest Update: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन वी. नारायणन ने CNN-NEWS18 से खास बातचीत की. उन्होंने भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम को लेकर कई अहम खुलासे किए. उन्होंने बताया कि कैसे बगुज़ारीं, और क्यों ये अनुभव गगनयान मिशन के लिए एक मजबूत नींव साबित हो रहा है.
‘हम नहीं थे संतुष्ट, इसलिए लॉन्च रोका गया’
नारायणन ने बताया कि ISRO के दो प्रशिक्षित गगनयात्री – ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और विंग कमांडर प्रशांत नायर – Axiom-4 मिशन का हिस्सा थे. उन्होंने कहा, ‘हम लॉन्च ऑपरेशन के दौरान एक महीने तक वहीं थे. जब हमें पता चला कि वाहन में एक छोटी सी लीक है, तो हमने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि इसे सुधारे बिना हम लॉन्च की अनुमति नहीं देंगे. हमारी बात मानकर लॉन्च टाल दिया गया और लीक ठीक किया गया. इसके बाद ही हम निश्चिंत हुए.’
‘सुरक्षा में कोई समझौता नहीं’
ISRO प्रमुख ने बताया कि उनके लिए ये फैसला आसान नहीं था, लेकिन सुरक्षा सर्वोपरि थी. उन्होंने कहा, ‘जब तक लीक ठीक नहीं हुआ, मैं एक पल को नहीं सोया. क्योंकि वहां हमारे देश के भाई और साथी थे. उनकी ज़िंदगी दांव पर थी.’
‘गगनयान की ओर एक बड़ी छलांग’
नारायणन ने मिशन की सफलता को ‘पीएम मोदी के दृष्टिकोण’ का परिणाम बताया. उन्होंने कहा, ‘मानव स्पेसफ्लाइट में भारत एक बड़ी छलांग लगा रहा है. गगनयान कार्यक्रम के लिए हमने अब तक 7,300 से ज़्यादा टेस्ट किए हैं और कुल 10,000 टेस्ट का लक्ष्य है, जिसमें क्रू मॉड्यूल, प्रणोदन प्रणाली, सिमुलेशन, पर्यावरणीय और विद्युत परीक्षण शामिल हैं.’
‘अंतरिक्ष यात्रियों को आत्मविश्वास मिलना चाहिए’
उन्होंने कहा कि एक अंतरिक्ष यात्री को ये भरोसा होना चाहिए कि उसके पीछे हजारों लोग उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में लगे हैं. Axiom मिशन के जरिए ISRO ने न सिर्फ अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण दिलाया, बल्कि अंतरिक्ष में सुरक्षित लॉन्चिंग, री-एंट्री और स्प्लैशडाउन जैसी प्रक्रियाओं में व्यावहारिक अनुभव भी हासिल किया.
‘गगनयान की नींव तैयार’
ISRO प्रमुख ने कहा, ‘यह Axiom मिशन हमारे गगनयान कार्यक्रम के लिए बीज बोने जैसा है. इससे हमने वो सीखा है जो आने वाले समय में हमारे अपने मानव मिशन को सफल बनाने में मदद करेगा.’
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