सोवरेन वेल्थ फंड्स (SWFs) और पेंशन फंड्स को सरकार ने बड़ी राहत दी है। भारत में किए गए निवेश पर टैक्स को लेकर जो छूट मिलती है, उसे केंद्र सरकार ने पांच साल तक के लिए यानी 31 मार्च, 2030 तक बढ़ा दिया है। एक मीडिया रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है। डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू ने इसे आज शनिवार को नोटिफाई किया। इससे जुड़ा ऐलान इस साल केंद्रीय बजट में किया गया था।
इस टैक्स एग्जेम्प्शन के चलते सोवरेन वेल्थ फंड्स और पेंशन फंड्स को भारत में निवेश से डिविडेंड, ब्याज और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स से हुी आय पर टैक्स से राहत मिलती है। इस राहत की उद्देश्य यही है कि भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ टेलीकॉम, एनर्जी, लॉजिस्टिक्स समेत अन्य अहम सेक्टर्स के लिए बढ़ती मांग के बीच लंबे समय के लिए विदेशी पूंजी यहां आए।
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पांच साल पहले लाया गया था टैक्स एग्जेम्प्शन का नियम
सरकार ने करीब पांच साल पहले वर्ष 2020 में इनकम टैक्स एक्ट के तहत सेक्शन 10(23एफई) पेश किया था। इसके तहत कुछ परिस्थितियों में खास इंफ्रा बिजनेस में निवेश पर डिविडेंड, ब्याज और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन को टैक्स के दायरे से बाहर कर दिया था। छूट का यह नियम 1 अप्रैल 2020 के बाद हुए निवेश पर लागू है। इसका लक्ष्य देश के अहम इंफ्रा प्रोजेक्ट्स में लंबे समय के लिए बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश लाने का है। पहले यह छूट 31 मार्च 2024 तक ही थी लेकिन फिर इसे बढ़ाकर 31 मार्च 2025 तक किया गया था। इसका ऐलान अंतरिम यूनियन बजट 2024-25 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था।
क्या होते हैं Sovereign Wealth Fund और Pension Fund?
सोवेरन वेल्थ फंड सरकार के मालिकाना हक वाला निवेश फंड है। यह पैसा आमतौर पर किसी देश के रिजर्व, जैसे कि तेल के निर्यात से हुई कमाई, ट्रेड सरप्लस या सरकार के अन्य मुनाफे के जरिए जुटाया जाता है। सोवेरेन वेल्थ फंड के कुछ उदाहरण नॉर्वेज गवर्नमेंट पेंशन फंड ग्लोबल, अबू धाबी इंवेस्टमेंट अथॉरिटी (ADIA) और जीआईसी, टेमासेक होल्डिंग्स है। अब पेंशन फंड की बात करें तो यह एक रिटायरमेंट सेविंग्स फंड है जो वर्कर्स और एंप्लॉयर्स से पैसे इकट्ठे करती है और इसे निवेश करती है। इसका इस्तेमाल रिटायर हो चुके लोगों को हर महीने पेंशन देने में किया जाता है। जैसे कि कनाडा पेंशन इंवेस्टमेंट बोर्ड।
