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July 5, 2025 11:34 pm

चीन पर गरजे पेन्पा त्सेरिंग…….‘दलाई लामा का नहीं, माओ का पुनर्जन्म खोजो’

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तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि उनका पुनर्जन्म होगा और उनका उत्तराधिकारी आध्यात्मिक प्रक्रिया से ही चुना जाएगा. यह बयान उन्होंने चीन की उस दखलअंदाज़ी पर दिया है, जिसमें बीजिंग यह तय करना चाहता है कि अगला दलाई लामा कौन होगा. दलाई लामा के इस बयान ने चीन से लेकर अमेरिका तक की राजनीति में हलचल मचा दी है, जबकि तिब्बती समुदाय में इसे आत्मविश्वास और जीत का प्रतीक माना जा रहा है.

तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख पेन्पा त्सेरिंग ने दलाई लामा के बयान को दोहराते हुए चीन पर कड़ा हमला बोला. उन्होंने साफ कहा कि पुनर्जन्म पूरी तरह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, न कि कोई राजनीतिक टूल. पेन्पा ने कहा, “चीन इस विषय में दखल नहीं दे सकता. यह फैसला सिर्फ धर्मगुरु द्वारा ही लिया जा सकता है.” उन्होंने इसे तिब्बती संस्कृति और धर्म पर हमले की कोशिश बताया.

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पेन्पा का चीन पर तंज

पेन्पा त्सेरिंग ने चीन की बौद्ध धर्म में समझ की कमी को लेकर भी तंज कसा. उन्होंने कहा, “अगर चीन वाकई पुनर्जन्म में विश्वास करता है, तो माओ जेदोंग और जियांग ज़ेमिन जैसे नेताओं के पुनर्जन्म की भी तलाश करे.” यह टिप्पणी चीन के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप को आड़े हाथों लेने के लिए की गई थी.

‘गोल्ड अर्न’ प्रक्रिया को किया खारिज

चीन की मांग रही है कि अगला दलाई लामा ‘गोल्ड अर्न’ नामक प्रक्रिया से चुना जाए, जो 1793 में चिंग राजवंश द्वारा तिब्बत पर नियंत्रण के उद्देश्य से लागू की गई थी. पेन्पा त्सेरिंग ने इस प्रक्रिया को खारिज करते हुए कहा कि पहले आठ दलाई लामा बिना इस प्रक्रिया के चुने गए थे और यह परंपरा तिब्बती बौद्ध संस्कृति से मेल नहीं खाती.

उत्तराधिकारी की घोषणा अभी नहीं

पेन्पा ने स्पष्ट किया कि दलाई लामा की 90वीं जयंती पर उत्तराधिकारी की कोई घोषणा नहीं होगी. उन्होंने कहा कि दलाई लामा कम से कम 20 साल और जीवित रहने की इच्छा जता चुके हैं और उचित समय पर ही उत्तराधिकारी को लेकर निर्णय लिया जाएगा.

चीन की चाल को बताया विफल

पेन्पा ने आरोप लगाया कि चीन तिब्बत में धार्मिक समुदायों के बीच फूट डालने की कोशिश कर रहा है, लेकिन “यह चाल ज्यादा दिन नहीं चलेगी.” उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया को पता है कि दलाई लामा का पुनर्जन्म एक गहरी आध्यात्मिक परंपरा है और इसमें किसी राजनीतिक सत्ता का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है.

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