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August 26, 2025 9:46 am

इजराइल-अमेरिका से पिटे ईरान को आई अपने इस ‘दुश्मन’ की याद…..’दुश्मनी से दोस्ती की तरफ……

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ईरान और इजराइल में सीजफायर हो चुका है, मगर दोनों देशों के बीच तनाव अभी भी वैसा ही है. ऐसे में दोनों देशों के बीच फिर से इस तरीके से हालात बनने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा रहा. ईरान ने खुद इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है. वह मिडिल ईस्ट में उन देशों से भी दोस्ती बढ़ा रहा है, जिनसे वह लंबे समय तक अपनी दुश्मनी मानता रहा है. इस लिस्ट में पहला नाम सऊदी अरब का है.

ईरान के सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टॉफ मेजर जनरल अब्दुलरहीम मौसवी ने हाल ही में सऊदी अरब के रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज के साथ बातचीत की. दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और फोन पर हुई इस बातचीत में क्षेत्रीय घटनाक्रमों के साथ साथ सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के प्रयासों पर भी चर्चा की.

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पद संभालने के बाद मौसवी की पहली बातचीत

ईरान के सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ का पदभार ग्रहण करने के बाद से यह मेजर जनरल मौसवी की सऊदी रक्षा मंत्री के साथ पहली फोन वार्ता थी. ईरान पर ज़ायोनी शासन के हमले में लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद हुसैन बाघेरी की शहादत के बाद, इस्लामी क्रांति के नेता अयातुल्ला खामेनेई ने 13 जून को मेजर जनरल मौसवी को सशस्त्र बलों का चीफ ऑफ स्टाफ नियुक्त किया था.

बरसों पुरानी है दोनों देशों की दुश्मनी

ईरान और सऊदी अरब के बीच बरसों पुरानी दुश्मनी है. यह राजनीतिक होने के साथ साथ धार्मिक भी है. दरअसल ईरान अपने आप को शिख मुस्लिमों का नेता मानता है, जबकि सऊदी अरब सुन्नी मुस्लिमों की वकालत करता है. यही धार्मिक मतभेद दोनेां देशों के बीच तनाव की सबसे बड़ी नींव है.1979 में जब ईरान में इस्लामिक क्रांति आई तो ये दुश्मनी और गहरी हो गई थी. सऊदी अरब ने इसे अपनी सता और इस्लामी नेतृत्व के लिए खतरा माना था.

दोनों देश लड़ते रहे हैं प्रॉक्सी वॉर

दोनों देश एक दूसरे के खिलाफ लगातार प्रॉक्सी वॉर लड़ते रहे हैं.सीरिया, यमन, इराक और लेबनान में दोनों देश एक दूसरे के विरोधी गुटों को समर्थन देते हैं. उदाहरण के तौर पर यमन में ईरान हूती विद्रोहियों को समर्थन देता है, जबकि सऊदी अरब वहां की सरकार का सर्मान करता है, सीरिया में ईरान ने बशर अल असद का समर्थन किया था जबकि सऊदी अरब वहां के विद्रोहियों के साथ था. हालांकि दो साल पहले 2023 में चीन ने मध्यस्थता कर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध बहाल करने की कोशिश की, संबंध सुधरे भी, लेकिन अभी भी कहीं न कहीं तनाव है.

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