ईरान और इजराइल के बीच जारी जंग के 12वें दिन एक अहम मोड़ आया. इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ऐलान किया कि उनका सैन्य अभियान पूरा हो चुका है और अब हमले रोके जा रहे हैं. यह फैसला तब आया, जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दोनों देशों से युद्ध रोकने की अपील की थी.
ट्रम्प ने सीजफायर का ऐलान किया और कहा कि यह छह घंटे के भीतर लागू होगा. हालांकि ईरान के विदेश मंत्री ने तुरंत इसे खारिज कर दिया. उनका बयान था कि जब तक इजराइल हमले पूरी तरह नहीं रोकता, ईरान भी पीछे नहीं हटेगा. इस बीच अब सारी निगाहें सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई पर हैं. 86 साल के खामेनेई इस वक्त अपने परिवार के साथ एक सीक्रेट लोकेशन पर हैं, जहां उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाली है ईरान की सबसे एलीट सिक्योरिटी फोर्स—Sepah-e Vali-ye Amr, यानी वली-ए-अम्र. आइए जानते हैं इस फोर्स के बारे में कुछ अहम बातें.
क्या है वली-ए-अम्र फोर्स?
‘वली-ए-अम्र’ का मतलब होता है—आदेश देने वाले की फौज, और ईरान में इसका मतलब साफ है सुप्रीम लीडर की सुरक्षा. यह ईरान की कुख्यात इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) की एक विशेष शाखा है, जो केवल एक काम करती है—खामेनेई की जान की हिफाज़त.]
इस यूनिट की स्थापना 1980 के दशक के मध्य में हुई थी और आज इसमें लगभग 12,000 बेहद कुशल और खास ट्रेनिंग पाए जवान शामिल हैं. ये जवान सिर्फ हथियार चलाना नहीं जानते, बल्कि साइबर वॉरफेयर, काउंटर इंटेलिजेंस और इंटरनल थ्रेट मैनेजमेंट में भी माहिर हैं.
कमांडर बदला, नई रणनीति
IRNA की एक खबर के मुताबिस इस हाई-सिक्योरिटी यूनिट में 2022 ही में बदलाव हुआ था. इसकी कमान संभाली थी ब्रिगेडियर जनरल हसन मशरुईफर ने, जिन्हें IRGC के चीफ हुसैन सलामी ने नियुक्त किया था. वही हुसैन सलामी जिनकी 13 जून को इजराइली हमले में मौत हो गई थी. पुराने कमांडर इब्राहीम जब्बारी, जिन्हें एक सम्मान पत्र देकर विदा किया गया, कभी IRGC की ‘बसीज’ मिलिशिया में खुफिया प्रमुख हुसैन ताएब के डिप्टी थे. हालांकि इस फोर्स के बारे में कई जानकारियां गुप्त रखी जाती है.
सिर्फ अंगरक्षक नहीं, सत्ता के रखवाले
वली-ए-अम्र को केवल सिक्योरिटी यूनिट समझना गलती होगी. यह ईरान की सत्ता की रीढ़ है. अगर खामेनेई के साथ कुछ होता है, तो यही यूनिट तुरंत नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया को सुरक्षित और नियंत्रित तरीके से अंजाम देती है. इसलिए कहा जाता है कि वली-ए-अम्र सिर्फ एक बॉडीगार्ड यूनिट नहीं, बल्कि ईरान की सत्ता की गारंटी है. ईरान की राजनीति के इस नाजुक मोड़ पर वली-ए-अम्र फोर्स की मौजूदगी सिर्फ खामेनेई की सुरक्षा का प्रतीक नहीं, बल्कि ईरान की व्यवस्था और नेतृत्व की स्थिरता का संदेश भी है—चाहे दुश्मन कोई भी हो.
