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August 25, 2025 12:39 pm

एक अप्रैल से बजट की राहतों के साथ NPCI-GST के नियमों का होगा बदलाव!

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संसद से पारित नया बजट मंगलवार यानी 1 अप्रैल, 2025 से लागू हो जाएगा. इनकम टैक्स से लेकर सब्सिडी जैसे कई फायदे इस तारीख से लागू हो जाएंगे. एक अप्रैल से जहां 12 लाख तक की कमाई पर टैक्स फ्री इनकम का नियम लागू हो जाएगा. किराए से होने वाली 6 लाख रुपए की इनकम टैक्स फ्री हो जाएगी. सीनियर सिटीजंस को ब्याज आय पर छूट दोगुनी हो जाएगी. TCS की लिमिट में इजाफा, अपडेटिड रिटर्न फाइल करने के नियमों में बदलाव, जीएसटी और एनपीसीआई के नियमों में भी कई तरह के बदलाव होने जा रहे हैं. आइए इन्हें विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं.

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बारह लाख तक टैक्स नहीं

न्यू टैक्स रिजीम के तहत अब 12 लाख रुपए तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. नौकरीपेशा लोगों के लिए 75 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ यह छूट 12.75 लाख रुपए हो जाएगी. न्यू टैक्स रिजीम में 20 से 24 लाख की इनकम के लिए 25% टैक्स का नया स्लैब भी शामिल किया गया है.

प्रभाव: पहले 30% की अधिकतम दर 15 लाख रुपए से ऊपर की आय पर लागू होती थी, लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 24 लाख रुपए कर दी गई है. इससे मध्यम और उच्च-मध्यम आय वर्ग को कर में बचत होगी.

टीडीएस सीमा बढ़ी

किराए से होने वाली आय पर छूट दोगुना: जिसे 2.4 लाख से बढ़कर 6 लाख रुपए कर दिया गया है.

सीनियर सिटीजंस को ब्याज आय पर छूट दोगुनी : बैंक एफडी से ब्याज आय अर्जित करने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए टीडीएस सीमा ₹50 हजार से बढ़कर ₹1 लाख हो गई है.

प्रोफेशनल सर्विस पर TDS सीमा में बढ़ोतरी: प्रोफेशनल सर्विस पर TDS की सीमा अब 30 हजार से बढ़कर 50 हजार हो गई है.

असर क्या होगा: इससे कम आय वाले व्यक्तियों पर TDS का बोझ कम होगा और नकदी प्रवाह में सुधार होगा.

TCS लिमिट की सीमा बढ़ी

क्या बदलाव हुआ है: विदेश में पढ़ाई के लिए पैसा भेजने पर टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) की लिमिट अब 7 लाख रुपए से बढ़कर 10 लाख रुपए हो गई है. वहीं अगर पैसा किसी फाइनेंशियल आर्गनाइजेशन जैसे बैंक आदि से लोन लिया गया हो टीसीएस नहीं लगेगा.

प्रभाव: टीसीएस हटने से छात्रों और उनके परिवारों दोनों को फायदा होगा. पहले 7 लाख से ज्यादा कि राशि पर 0.5%-5% टीसीएस कटता था. इससे ट्रांसफरिंग प्रोसेस थोड़ी हेक्टिक बन जाती थी. वहीं अब दूसरे छोर पर 10 लाख रुपए तक की पूरी राशि पहुंच पाएगी.

अपडेटेड रिटर्न भरने के लिए ज्यादा समय

बदलाव ये हुआ : अब टैक्सपेयर्स असेसमेंट ईयर के अंत से 24 महीने के बजाय 48 महीने तक अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकेंगे. इसकी कुछ शर्तें हैं. पहली ये कि​ 24 से 36 महीने के बीच दाखिल रिटर्न पर 60 फीसदी अतिरिक्त टैक्स. दूसरी शर्त ये है कि 36 से 48 महीने के बीच दाखिल रिटर्न पर 70% अतिरिक्त टैक्स लागू होगा.

प्रभाव: इससे करदाताओं को अपनी गलतियों को सुधारने के लिए अधिक समय मिलेगा. स्वैच्छिक अनुपालन भी बढ़ेगा. यानी, किसी व्यक्ति या संगठन का अपनी मर्जी से नियमों, कानूनों का पालन करना.

यूलिप पर कैपिटल गेन टैक्स

बदलाव: यदि यूलिप यानी, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान का प्रीमियम प्रति वर्ष 2.5 लाख रुपए से अधिक है, तो इसे कैपिटल एसेट माना जाएगा. ऐसे यूलिप को भुनाने से होने वाले किसी भी फायदे पर कैपिटल गेन टैक्स लगेगा. यूलिप एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसमें प्रीमियम का एक हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है. यदि इसे 12 महीने से अधिक समय तक रखा जाता है, तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के रूप में 12.5% टैक्स लगेगा. यदि इसे 12 महीने से कम समय तक रखा जाता है, तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) के रूप में 20% टैक्स लगेगा.

प्रभाव: उच्च प्रीमियम वाले ULIP में निवेश करने वालों को अब टैक्स देना होगा. सरकार ने ये बदलाव हाई-इनकम टैक्स पेयर्स को यूलिप को टैक्स-फ्री इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट के रूप में उपयोग करने से रोकने के लिए किए हैं. यूलिप प्रीमियम का एक बड़ा हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है, इसलिए सरकार का तर्क था कि इसे ट्रेडिशनल इंश्योरेंस की तरह टैक्स छूट नहीं मिलनी चाहिए.

सस्ता-महंगा क्या हुआ

बदलाव : सरकार ने फरवरी में पेश किए गए बजट में कुछ प्रोडक्ट पर कस्टम ड्यूटी घटाई थी और कुछ पर बढ़ाई थी. इससे करीब 150-200 प्रोडक्ट प्रभावित होंगे. आम तौर पर वित्तीय वर्ष की शुरुआत यानी 1 अप्रैल 2025 से कस्टम ड्यूटी में हुए बदलाव लागू होते हैं. हालांकि, कुछ बदलावों की लागू होने की तारीखें केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के नोटिफिकेशन पर निर्भर करती हैं. जैसे, पिछले बजट में कुछ कस्टम ड्यूटी बदलाव (जैसे मोबाइल फोन और कीमती धातुओं पर) 24 जुलाई 2024 से लागू हुए थे.

प्रभाव: कुछ चीजें सस्ती और कुछ महंगी हो सकती है. कस्टम ड्यूटी के घटने-बढ़ने का अप्रत्यक्ष असर चीजों की कीमतों पर पड़ता है.

क्या होगा सस्ता
  • 40 हजार डॉलर से ज्यादा कीमत या 3 हजार सीसी से ज्यादा की इंजन क्षमता वाली आयातित कारें.
  • सीबीयू यूनिट के रूप में आयातित मोटरसाइकिलें जिनकी इंजन क्षमता 1600 सीसी से अधिक नहीं है.
  • 36 लाइफ सेविंग दवाओं से कस्टम ड्यूटी हटाने से क्रिटिकल ट्रीटमेंट की कॉस्ट कम हो जाएगी.
  • EV सस्ते हो सकते हैं. सकार ने बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के लिए 35 कैपिटल गुड्स की ड्यूटी हटा दी है.
  • मोबाइल फोन बैटरी प्रोडक्शन के लिए 28 कैपिटल गुड्स को कस्टम ड्यूटी से छूट दी गई.

आइटम जो महंगे हो सकते हैं: स्मार्ट मीटर सौर सेल, आयातित जूते, आयातित मोमबत्तियां, आयातित नौकाएं और अन्य जहाज, पीवीसी फ्लेक्स फिल्म्स, पीवीसी फ्लेक्स शीट्स, पीवीसी फ्लेक्स बैनर, नीटिंग प्रोसेस से बना कपड़ा, एलसीडी/एलईडी टीवी

बजट में जिन योजनाओं की घोषणा हुई थी उनका फायदा कब से मिलेगा?

सामाजिक कल्याण योजनाएं जैसे किसानों के लिए नकद सहायता, महिलाओं के लिए स्कीम्स, या रोजगार योजनाओं का फायदा जून-जुलाई से मिलना शुरू हो सकता है. सड़क, रेल, या स्कूल-हॉस्पिटल जैसी परियोजनाओं का फायदा मिलने में समय लगता है, क्योंकि इनके लिए योजना, टेंडर और निर्माण की प्रक्रिया होती है.

जीएसटी चोरी के लिए ट्रैक-ट्रेस

एक अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष 2025-26 में जीएसटी चोरी पकड़ने के लिए सरकार ट्रैक एंड ट्रेस मैकेनिज्म की शुरुआत करने जा रही है. चालू वित्त वर्ष के लिए जुलाई में पेश बजट में ट्रैक एंड ट्रेस मैकेनिज्म की घोषणा की गई थी. हालांकि अब तक इस मैकेनिज्म को लेकर अधिसूचना जारी नहीं की गई है, लेकिन आज तक तक इसे जारी किया जा सकता है. इससे ठीक एक अप्रैल से इन मैकेनिज्म के लागू हो जाएंगे. जीएसटी प्राधिकार द्वारा कुछ विशेष प्रकार की वस्तुओं के लिए ट्रैक एंड ट्रेस मैकेनिज्म का इस्तेमाल किया जाएगा. एफएमसीजी सेक्टर, तंबाकू संबंधित आइटम के अलावा दवा एवं प्रसाधन आइटम की पूरी सप्लाई चेन के लिए इस मैकेनिज्म का इस्तेमाल होगा. इस प्रकार की वस्तुओं की बिक्री वास्तविक सप्लाई से कम पाई जा रही है. मैकेनिज्म के तहत फैक्ट्री से माल के निकलने से लेकर रिटेल दुकान तक पहुंचने तक की जानकारी सरकार के पास होगी.

विशिष्ट कोड जेनेरेट करके देगा जीएसटी विभाग

जीएसटी विभाग इस प्रकार की वस्तुओं के मैन्यूफैक्चरर्स को अपना सॉफ्टवेयर देगी और चयनित वस्तुओं के लिए विशेष कोड बनाना होगा. वह कोड उस सॉफ्टवेयर से जुड़ा होगा जिससे वस्तुओं की सप्लाई की जानकारी में कोई हेराफेरी नहीं हो सकेगी. ट्रैक एंड ट्रेस मैकेनिज्म के तहत आने वाली वस्तुओं के निर्माता अगर इसे नहीं अपनाएंगे तो कम से कम एक लाख रुपए तक का जुर्माना भी देना पड़ सकता है. एक अप्रैल से जीएसटी नियमों में होने वाले बदलाव आगामी एक अप्रैल से सालाना 10 करोड़ से अधिक का कारोबार करने वाले कारोबारियों को ई-इनवायस के जारी होने के 30 दिनों के भीतर उसकी जानकारी इनवायस रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर देना अनिवार्य होगा. पहले इस प्रकार की जानकारी देने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं थी.

पुराने यूजर्स को पहचान अपडेट कराना होगा: आगामी एक अप्रैल से जीएसटी पोर्टल यूजर्स की पुख्ता पहचान के लिए उन्हें अपनी कई पहचान की जानकारी देनी होगी. पुराने यूजर्स को भी अपनी पहचान को अपडेट करना होगा. इसके अलावा अगर किसी कारोबारी ने एक पैन नंबर से अलग-अलग राज्यों में जीएसटी का कई पंजीयन कराया हुआ है तो ऐसे कारोबारी को इनपुट टैक्स क्रेडिट के वितरण के लिए इनपुट सर्विस डिस्टि्रब्यूटर के रूप में पंजीयन कराना अनिवार्य होगा.

निष्क्रिय मोबाइल से यूपीआई नहीं

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने यूपीआई लेनदेन की सुरक्षा और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए नए नियम जारी किए हैं. यह नियम एक अप्रैल से लागू हो रहे हैं. इसके मुताबिक, अगर आप अपने मोबाइल नंबर का 90 दिनों तक इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो दूरसंचार कंपनी वह नंबर किसी दूसरे व्यक्ति को दे सकती है.

इसके मायने क्या?

इसका मतलब है कि अगर आपने पुराने मोबाइल नंबर से यूपीआई लिंक किया है और वह नंबर बंद हो गया है, तो आपकी यूपीआई आईडी भी काम नहीं करेगी. यानी आप यूपीआई सेवाओं का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे.

सप्ताह में कम-से-कम एक बार जांचेंगे और अपडेट करेंगे : एक अप्रैल से बैंक और यूपीआई एप ग्राहकों के मोबाइल नंबर रिकॉर्ड को सप्ताह में कम-से-कम एक बार जांचेंगे और अपडेट करेंगे, ताकि बदले गए मोबाइल नंबरों के कारण गलत लेनदेन न हो.

यूपीआई यूजर्स को करने होंगे ये काम

बैंक में अपना मोबाइल नंबर अपडेट करें ताकि यूपीआई सेवाएं चालू रहें.

अगर हाल ही में नंबर बदला है, तो जल्द बैंक में नया नंबर रजिस्टर करें.

बैंक रजिस्टर्ड नंबर का इस्तेमाल करते रहें ताकि वह निष्क्रिय न ही और यूपीआई सेवाएं प्रभावित न हो.

कलेक्ट पेमेंट फीचर होगा खत्म: एनपीसीआई ने धोखाधड़ी को कम करने के लिए हाल ही में कलेक्ट पेमेंट फीचर को हटाने की प्रक्रिया शुरू की है. अब यह फीचर सर्फ बड़े और वेरिफाइड व्यापारियों तक सीमित रहेगा. व्यक्तिगत लेनदेन में इसकी सीमा 2,000 रुपए कर दी जाएगी.

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