कार्यशाला की शुरुआत डॉ जनक पलटा मगिलिगन द्वारा बहाई प्रार्थना के साथ हुई । तत्पश्चात नन्ही साव्या पोरवाल ने हनुमान चालीसा का पाठ किया । नित्या बत्रा ने पारंपरिक होली कवित्त कथन और मनमोहक कथक नृत्य प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर होमस्कूलिंग समूह की संचालिका भारती बत्रा , साकेत से शिक्षिका कस्तूरी, सपना-संगीता से शिखा पोरवाल और सेंट पॉल इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज के छात्र प्रिंसिपल सीनियर एलिस थॉमस और संकाय प्रोफेसर विधि प्रयानी उपस्थित थे।
सब से पहले सभी ने सेंटर पर लगे प्राकृतिक फूल गुलाब, गुड़हल, अंबाडी, पोई, संतरा, अनार, पारिजात, शहतूत आदि के पेड़, पौधे और बेल देखी। फिर जनक दीदी ने पोई, पारिजात, अंबाड़ी, गुड़हल, गुलाब, टेसू, सिंदूर जैसे फूलों व चुकंदर , टेसू के फूलों, बुगन्नविलिया के फूलों, मौसंबी कि छिलको और सरलता से उपलब्ध सामग्री से गीला और सूखा रंग बनाना सिखाया ।
सभी ने संकल्प लिया कि असली होली के रंग खुद बना कर, शुद्ध होली खेलेंगे और आसपास भी सबको सिखाएंगे।
जनक दीदी ने कहा की होली मूलतः प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है । इसे हमें प्यार और भाईचारे से ही मनाना चाहिए ताकि हम सभी का जीवन सुखमय बना रहे ।
