उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि 27 जनवरी से राज्य में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होगा. उनके मुताबिक आजाद भारत में ऐसा कानून लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है. इस कानून के तहत मुसलमानों की शादी, तलाक, उत्तराधिकार और लिव इन संबंधों से जुड़े कानूनो को नियंत्रित करने में आसानी होगी. इस कानून की मु्सलमान मुखालफत कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे मुसलमानों के पर्सनल लॉ को नुकसान होगा. लेकिन इस खबर में हम आपको बता रहे हैं कि इस कानून से हिंदुओं को क्या नुकसान होगा.
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टैक्स में होगा नुकसान
समान नागरिक संहिता से हिंदुओं को नुकसान के बारे में बेंगलुरू के नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी में टीचर सरयू थॉमस बता रही हैं. बीबीसी हिंदी ने उके हवाले से लिखा है कि “यूसीसी आने से हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) ख़त्म हो जाएगा. असदउद्दीन ओवैसी ने भी HUF पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा है.” असदुद्दीन उवैसी ने एक इंटरव्यू में पूछा है कि “क्या UCC आने पर हिंदू अविभाजित परिवार को ख़त्म किया जाएगा.” उन्होंने दावा किया है कि “इससे देश को हर साल 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुक़सान झेलना पड़ रहा है.”
क्या है HUF?
हिंदू कानून के मुताबिक एक परिवार के कुछ सदस्य मिलकर एक HUF बना सकते हैं. आयकर नियम के मुताबिक HUF को एक अलग इकाई माना जाता है. अब बेटियां भी परिवार की संपत्ति में हिस्सेदार हैं. इसके तहत उन्हें टैक्स देने में छूट मिलती है.
रिवाज होंगे खत्म
सरयू थॉमस का कहना है कि अगर यूसीसी लागू होता है तो हिंदुओं के अलग-अलग रिवाज खत्म हो जाएंगे. उनके मुताबिक “दक्षिण भारत में रिश्तेदारों के बीच शादियां हो सकती हैं. लेकिन यूसीसी इन सब रिवाजों को ख़त्म कर देगा.”
आदिवासियों पर पड़ेगा असर
यूसीसी लागू करने की बात पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेष बघेल ने बयान दिया था कि “आप (बीजेपी) हमेशा हिंदू-मुसलमान के हिसाब से क्यों सोचते हैं? छत्तीसगढ़ में आदिवासी हैं. उनके नियढ़ी परंपराम रू के हिसाब से हैं. वो उसी से चलते हैं. अब समान नागरिक संहिता कर देंगे तो हमारे आदिवासियों की रूढ़ी परंपरा का क्या होगा.”