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January 21, 2025 12:30 am

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झोल बन जाएगा इतिहास…….’यादगार होगा अगला बजट, GST जैसा कदम इनकम टैक्स में ‘नया-पुराना’

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क्या यादगार होगा अगला बजट? खासकर आयकर के मामले में सरकार कुछ बड़ा करने वाली है. इस सरकार ने कई बार देश को चौंकाया है. इसका बड़ा उदाहरण है वस्तु एंव सेवा कर यानी GST. मोदी सरकार से पहले भी GST लागू करने पर चर्चा होती थी. मुश्किल काम था… लेकिन कर दिया. अब लोग GST से पहले देश में जिस तरह की टैक्स व्यवस्था थी, उसे भूलने लगे हैं.

दरअसल, दर्जनों तरह के टैक्स सिस्टम को खत्म कर सरकार ने GST को लागू किया. भले ही, अब भी कुछ लोगों में GST को लेकर परेशानी है, लेकिन पुराना टैक्स सिस्टम को मोदी सरकार ने झटके में अंत कर दिया. क्या इसी तरह का कुछ आयकर नियम के साथ भी हो सकता है? इसके कई कारण और संकेत भी मिल रहे हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई के बजट में 6 महीने के भीतर 6 दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा की घोषणा की थी.

आयकर को लेकर बजट में बड़ा बदलाव संभव

जहां तक आयकर में बदलाव की बात है, तो हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश में 65 फीसदी से ज्यादा करदाता न्यू टैक्स रिजीम (New tax Regime) को अपना चुके हैं, यानी हर 3 में से 2 लोग न्यू टैक्स रिजीम के तहत आयकर फाइल कर रहे हैं. इस डेटा में पिछले एक साल के दौरान ज्यादा बदलाव आया है, क्योंकि सरकार ने जब बजट 2020 में न्यू टैक्स रिजीम को लागू किया तो लोग इसे अपनाने से कतरा रहे थे, क्योंकि उस समय न्यू टैक्स सिस्टम के मुकाबले ओल्ड टैक्स सिस्टम (Old Tax System) ज्यादा बेहतर और फायदेमंद लग रह रहा था. लेकिन अब सरकार का फोकस न्यू टैक्स रिजीम पर है… इसलिए उसमें लगातार बदलाव हो रहा है. जबकि ओल्ड टैक्स रिजीम ज्यों का त्यों है.

पिछले साल जुलाई में बजट के दौरान सरकार ने न्यू टैक्‍स रिजीम के तहत स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 75000 रुपये तक कर दिया. लेकिन ओल्ड टैक्स सिस्टम में अब भी स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 50000 रुपये है. इसके अलावा न्यू टैक्स स्लैब (New Tax Slab) में भी बदलाव किया गया, जो आयकर दाताओं को अब आकर्षक लग रहा है. सरकार की कोशिश है कि लोग के पास एक सहज आयकर सिस्टम हो, जिसे लोग आसानी से अपनाएं और उसे महसूस करे. साथ ही उस बदलाव पॉजीटिव मैसेज जनता में जाएं, और उसका दूरगामी परिणाम हो.

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बदलाव के बाद न्‍यू टैक्‍स रिजीम-
₹0-₹3 लाख: शून्य
₹3-₹7 लाख: 5%
₹7-₹10 लाख: 10%
₹10-₹12 लाख: 15%
₹12-₹15 लाख: 20%
₹15 लाख से अधिक: 30%

इस बार भी बजट में सरकार का फोकस न्यू टैक्स रिजीम को ही और अधिक आकर्षक और लाभदायक बनाने पर रह सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) की सीमा को ₹75,000 से बढ़ाकर ₹1,00,000 करने की संभावना है. इसके अलावा, 20 प्रतिशत टैक्स रेट के दायरे को भी 12-15 लाख रुपये की आय से बढ़ाकर 12-20 लाख रुपये तक किया जा सकता है. यह बदलाव खासतौर पर उन लोगों के लिए राहत लेकर आएगा, जिनकी आय 15-20 लाख रुपये के बीच है. फिर तो ओल्ड टैक्स रिजीम से और भी टैक्सपेयर्स न्यू टैक्स रिजीम में Shift हो जाएंगे. जिससे ओल्ड टैक्स रिजीम की लोकप्रियता और घट जाएगी, और इसका सीधा फायदा न्यू टैक्स रिजीम को होगा.

रिपोर्ट में यह भी संभावना जताई जा रही है कि मोदी सरकार अपने फैसले से चौंकाने के लिए जानी जाती है, फिर कहीं सरकार पुरानी टैक्स प्रणाली को ही न समाप्त कर दे. क्योंकि अगर 80 फीसदी से ज्यादा लोग न्यू टैक्स सिस्टम अपना लेते हैं तो फिर सरकार को ओल्ड टैक्स रिजीम को खत्म करने का विकल्प भी मिल जाएगा.

एक्सपर्ट भी मान रहे हैं कि सरकार चाहती हैं कि सभी लोग न्यू टैक्स रिजीम को अपना लें, और उसके बाद वो टैक्स बचाने के लिए जो निवेश करते हैं, उसे सही जगह सही रिटर्न के लिए स्वतंत्र होकर निवेश करें. अभी लोग सेविंग कम टैक्स सेविंग पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं. ऐसे में सरकार बजट में एक नए फॉर्मूले को पेश कर सकती है. जो सर्वमान्य होगा, और फिर कुछ वर्षों में ही लोग ओल्ड टैक्स रिजीम, या फिर न्यू टैक्स रिजीम को भूल जाएंगे, जिस तरह से GST आने के बाद लोग पहले की इनडायरेक्ट टैक्स व्यवस्था को भूल गए.

टैक्‍स स्‍लैब में हो सकता है बदलाव

सरकार नई टैक्‍स व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब में और बदलाव करने पर विचार कर सकती है. खासतौर पर ऐसी अटकलें हैं कि 30% टैक्‍स रेट ₹20 लाख से अधिक इनकम लेवल पर लागू की जा सकती है.

बता दें, सूत्रों के मुताबिक खबर ये है कि नया आयकर कानून को बजट सत्र के दौरान संसद में पेश किया जा सकता है. यह एक नया कानून होगा, न कि मौजूदा अधिनियम में संशोधन. फिलहाल, कानून के मसौदे पर विधि मंत्रालय विचार कर रहा है, और बजट सत्र के दूसरे हिस्से में इसे संसद में पेश किए जाने की संभावना है. दरअसल, इसका मकसद मौजूदा Income Tax Act, 1961 को आसान, स्पष्ट और समझने योग्य बनाना है.

नए आयकर कानून में क्या बदलाव संभव?

– कानून को आसान भाषा में लिखा जाए, ताकि आम लोग इसे आसानी से समझ सकें.
– अनावश्यक और अप्रचलित प्रावधानों को हटाया जाएगा.
– कर विवादों (Tax Litigation) को कम किया जाएगा.
– टैक्सपेयर्स के लिए अनुपालन (Compliance) को आसान बनाया जाएगा.
– इसके लिए इन सुधारों के लिए आयकर विभाग को जनता और उद्योग जगत से 6,500 सुझाव प्राप्त किए हैं.

गौरतलब है कि, मौजूदा समय में ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत 10 लाख से ज्यादा की आय पर 30% आयकर की व्यवस्था है, जबकि न्यू टैक्स रिजीम में 15 लाख से ज्यादा की आय पर 30% आयकर की व्यवस्था है. अब कहा जा रहा है कि न्यू टैक्स रिजीम में 15 लाख से बढ़ाकर 20 लाख से ऊपर की आय पर 30% टैक्स स्लैब को फिट किया जा सकता है. अगर 20 लाख से ऊपर की आय पर 30% आयकर वसूला जाता है तो फिर लोगों के पास टैक्स के पैसे बचेंगे, जिसे वो खर्च करेंगे, और इससे सिस्टम में डिमांड बढ़ेगी, जिससे इकोनॉमी को भी बल मिलेगा.

एक ये भी विकल्प

इसके अलावा अगर सरकार नियमों में बदलाव नहीं करती है तो फिर चर्चा यह भी है कि इस बार सेक्‍शन 80सी के तहत कटौती की लिमिट भी बढ़ाई जा सकती है. मौजूदा समय में सेक्‍शन 80सी के तहत कटौती की अधिकतम सीमा ₹1.5 लाख है. हालांकि महंगाई और टैक्‍सपेयर्स पर बढ़ते वित्तीय दबाव के कारण एक्‍सपर्ट सरकार से इस लिमिट को और बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. इसे बढ़ाकर कम से कम 2 लाख रुपये सालाना किया जा सकता है.

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