दिल्ली विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल की नजर हैट्रिक जीत पर है. अभी वह खुद चुनावी सभाओं में व्यस्त हैं. इस बीच उनकी टेंशन बढ़ाने वाली खबर आई है. दिल्ली चुनाव से पहले एक बार फिर शराब घोटाले का जिन्न निकल आया है. दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गृह मंत्रालय ने ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय को अरविंद केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी है. अरविंद केजरीवाल को लेकर यह खबर ऐसे वक्त में आई है, जब 5 फरवरी को दिल्ली में वोटिंग है. नतीजे 8 फरवरी को आएंगे.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर की मानें तो अरविंद केजरीवाल के खिलाफ केस दर्ज करने की यह इजाजत एमएचए की ओर से ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मिली है. दिल्ली की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आरोप तय करने पर रोक लगा दी थी. दरअसल, अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने कहा था कि पीएमएलए के तहत मुकदमा चलाने के लिए जरूरी मंजूरी के बिना ही ट्रायल कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लिया है.
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सीबीआई के बाद अब ईडी को मिली मंजूरी
दिल्ली शराब केस में सीबीआई ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. सीबीआई को पिछले साल अगस्त में इस मामले में जरूरी मंजूरी मिल गई थी. हालांकि, इडी को अब तक मंजूरी नहीं मिली थी. मगर अब खुद गृह मंत्रालय ने एक्शन लेने की इजाजत दे दी है. दिल्ली शराब घोटाला केस में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) पर ‘साउथ ग्रुप’ से रिश्वत लेने का आरोप है. यह ग्रुप राष्ट्रीय राजधानी में शराब की बिक्री और वितरण को कंट्रोल करता था. आरोप है कि इस ग्रुप को दिल्ली की आप सरकार की ओर से 2021-22 के लिए बनाई गई आबकारी नीति से फायदा हुआ था.
केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से की थी शिकायत
यहां ध्यान देने वाली बात है कि नवंबर के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ईडी को पीएमएलए के तहत मुकदमा चलाने के लिए विशेष मंजूरी की जरूरत है. अरविंद केजरीवाल ने 6 नवंबर के सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए हाईकोर्ट के सामने दलील दी थी कि सीबीआई को मिली मंजरी, ईडी के लिए उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की हरी झंडी नहीं हो सकती. उन्होंने कहा था कि एजेंसी को पीएमएलए के तहत मुकदमा चलाने के लिए अलग से अनुमति लेनी होगी. इसके बाद ही ईडी ने गृह मंत्रालय से इजाजत मांगी थी.
सुप्रीम कोर्ट का नवंबर वाला आदेश क्या था
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने अपने नवंबर के आदेश में कहा था कि ईडी को पीएमएलए के तहत आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए सक्षम प्राधिकारी से विशेष मंजूरी की जरूरत होती है. इसके बाद पीएमएलए के तहत आरोपी बनाए गए अन्य लोगों ने भी अपने खिलाफ चार्जशीट रद्द करने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ईडी से कहा था कि वह सीआरपीसी की धारा 197 (1) के तहत सक्षम प्राधिकारी से मंज़ूरी ले. बताया जा रहा है कि ईडी सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने की तैयारी में भी है, जिसके बाद आरोपियों की ओर से चार्जशीट रद्द करने के लिए कई याचिकाएं दायर की गई हैं.
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