देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा लागू किए गए वन रैंक वन पेंशन (OROP) स्कीम को 10 साल हो गए हैं. PM Modi ने इस मौके पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर (अब X) पर एक पोस्ट किया. उन्होंने कहा कि आज इस योजना को लागू हुए एक दशक बीत गया है और इससे लाखों पेंशनधारकों को फायदा हुआ है. गौरतलब है कि ‘One Rank One Pension’ की शुरुआत एक दशक पहले आज ही के दिन की गई थी और इसके तहत रिटायरमेंट की तारीख से अलग समान रैंक पर रिटायर हुए और समान अवधि के लिए सेवाएं देने वाले सैन्यकर्मियों को समान पेंशन मिलती है.
PM Modi ने बताया ऐतिहासिक दिन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना के 10 साल पूरे होने के मौके पर सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, ‘यह हमारे पूर्व सैन्यकर्मियों के साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने हमारे देश की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. OROP को लागू करने का फैसला हमारे नायकों के प्रति हमारे देश की कृतज्ञता की पुष्टि करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.’
आर्म्ड फोर्सेस को आगे बढ़ाने का प्रयास
प्रधानमंत्री ने अपनी पोस्ट में आगे लिखा, ‘आप सभी को जानकर खुशी होगी कि पिछले एक दशक में लाखों पेंशनर्स और उनके परिवारों को इस ऐतिहासिक पहल से लाभ मिला है. आंकड़ों से अलग OROP हमारे आर्म्ड फोर्सेस की भलाई के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.’ पीएम मोदी ने आश्वासन दिया कि सरकार हमारे सशस्त्र बलों को मजबूत करने और हमारी सेवा करने वालों के कल्याण को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा हर संभव प्रयास करेगी.
25 लाख से ज्यादा पेंशनर्स को फायदा
Modi Govt द्वारा लागू की गई इस योजना से अब तक 25 लाख से अधिक सशस्त्र बल पेंशनर्स और उनके परिवारों को फायदा पहुंचा है. इस स्कीम में सरकार की ओर से हर 5 साल में पेंशन को रिवाइज किया जाता है. इसमें आखिरी संशोधन जुलाई 2024 में किया गया था. बीते 10 सालों में सरकार द्वारा इस योजना पर किए गए खर्च के आंकड़े पर नजर डालें, तो एक दशक में वन रैंक वन पेंशन पर 1,24,974.34 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.
बेहद खास है ये पेंशन स्कीम
‘वन रैंक, वन पेंशन’ योजना के लागू होने से पहले पूर्व सैनिकों को वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर पेंशन मिलती थी, लेकिन मोदी सरकार में किए गए इस बदलाव से तस्वीर बिल्कुल बदल गई. 30 जून, 2014 तक रिटायर हुए आर्म्ड फोर्सेस के सैन्यकर्मियों को इसमें शामिल किया गया है. इस सरकारी योजना (Govt Schemes) के लाभार्थियों की संख्या के मामले में पंजाब (Punjab) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सबसे आगे हैं.